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पिता के सामने बदमाशों ने ली बेटे की जान

देवरिया: एक पिता के लिए इससे बड़ी त्रासदी भला और क्या हो सकती है कि उसकी आंख के सामने लख्तेजिगर तड़प

By Edited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 11:07 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 11:07 PM (IST)
पिता के सामने बदमाशों ने ली बेटे की जान

देवरिया: एक पिता के लिए इससे बड़ी त्रासदी भला और क्या हो सकती है कि उसकी आंख के सामने लख्तेजिगर तड़प -तड़प कर मौत के मुंह में समा जाए और वह कुछ न कर सके। ऐसे ही खौफनाक मंजर से दो -चार हुए कविलाश यादव फिलहाल गहरे सदमे में हैं। उन्हें अब भी यकीन नहीं है कि उनके जिगर के टुकड़े को क्रूर मौत छीन ले गई।

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ग्रामीणों की मानें तो मेहनतकश कविलाश ने परिवार को गुरबत से उबारने के प्रयास में युवा काल में ही झारखंड प्रांत के आसनसोल चले गए। उनकी मेहनत का परिणाम रहा कि दिन बहुरने लगे और गांव के समीप ईंट भट्टा स्थापित करने में उन्हें कामयाबी मिल गई। बडे पुत्र जितेंद्र के हाथ उन्होंने व्यवसाय की बागडोर सौंप दी, जबकि छोटा पुत्र दिनेश पिता के दिखाये मार्ग पर चल पड़ा। वह झारखंड में ही जीविकोपार्जन करता है। जबकि होनहार जितेंद्र पिता की छत्रछांव में पूरी शिद्दत के साथ व्यवसाय को आगे बढ़ाने में लीन हो गया। भट्ठे पर कार्यरत मजदूरों की मानें तो चाचा रामजी के साथ जितेंद्र जब भट्ठे पर गया तो कविलाश वहां पहले से मौजूद थे। वह मजदूरों को दिशानिर्देश दे रहे थे। कहा जा रहा है कि बदमाशों ने जब जितेंद्र को गोली मारी तो कविलाश व उनके भाई रामजी के होश उड़ गए। अनहोनी की आशंका से सहमे दोनों भाई जितेंद्र के पास गये। नजारा डराने वाला रहा। कारण कि जितेंद्र के सिर से रक्त का रिसाव हो रहा था और उसकी शरीर बेंच पर लुढ़क गई थी। यह देख दोनों भाइयों के होश उड़ गए। विलाप करते हुए दोनों मजदूरों से गुहार करने लगे कि जैसे भी हो उनके बरखुरदार की जान बचाई जाए। मालिक के इस आदेश के बाद भी मजदूर पत्थर की बूत बने रहे। वह यह कहने की हिम्मत ही नहीं जुटा सके कि जितेंद्र की शरीर ठंडी पड़ गई है। घटना स्थल पर उमड़ी भीड़ व पुत्रवधू किरन की हृदय विदारक चीत्कार से वृद्ध कविलाश चेतना में लौटा। अपनी वृद्ध पत्नी व बेवा बहू को ढाढस बंधाने के शब्द ही उसके पास नहीं था। वृद्ध पर टूटे विपत्ति के इस पहाड़ को जिसने भी देखा उसकी आँखें नम हो गई।

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पशोपेश में पुलिस

देवरिया: जितेंद्र उर्फ कून्नू यादव की सुनियोजित हत्या का आरोप मृतक के परिजनों ने भले ही एक कांग्रेसी नेता व उसके भाई पर लगा रहे हैं, पर पुलिस के गल्स के नीचे यह दावा पूरी तरह से नहीं उतर रहा। हत्या की मूल वजह अमूमन जर, जोरू व जमीन से जोडकर देखने वाली पुलिस को इस बात पर फिलहाल विश्वास ही नहीं हो रहा कि चुनावी रंजिश में इस कदर नृशंस घटना को अंजाम दिया जाएगा। बहरहाल जितेंद्र की मौत का असल राज क्या है? इसका जवाब पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही पता चल सकेगा। इस बावत थानाध्यक्ष भलुवनी डीपी ¨सह ने कहा कि मृतक के परिजनों का संदेह जांच का विषय है। पुलिस की नजर कई ¨बदुओं पर है।हर हाल में हत्यारे को बेनकाब किया जाएगा। कानून के लंबे हाथ उसके गिरेबान तक पहुंच कर ही रहेंगे।

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शातिर थे शूटर

देवरिया: नवंबर माह में हत्या की तीन बड़ी वारदातों को अंजाम देने वाले शूटरों की भांति ही जितेंद्र यादव के कातिल भी शातिर निकले। घटना स्थल पर उन्होंने अपने ऐसे कोई निशान नहीं छोडें जिसकी बुनियाद पर कानून के रखवाले आसानी के साथ उन तक पहुंच सकें। यानी कि जितेंद्र हत्या कांड के पर्दाफाश में भी पुलिस को पापड़ बेलने ही होंगे। सदर कोतवाली क्षेत्र के ईंट भट्ठे पर कार्यरत मजदूरों की मानें तो बदमाश जब वहां पहुंचे तो समूचा इलाका घने कोहरे की चादर में लिपटा था। जितेंद्र से बातचीत के दौरान जो लोग दिखे वह काली बाइक से पहुंचे थे। इनमें से एक के सिर पर हेल्मेट था। जबकि दोनों के कंधे पर काला बैग लटका भी बताया गया। माना जा रहा है कि ईंट देखने के बहाने बदमाश सुनसान जगह की तलाश कर रहे थे। जितेंद्र के साथ वह जिस ओर बढ़े उधर मजदूरों की चहलकदमी पहले से थी। ऐसे में कटरैन शेड के पास वापस लौटना ही उन्होंने मुनासिब समझा। कटरैन शेड के समीप ट्रैक्टर चालक रामविलास वाहन में तेल डाल रहा था। तभी गोली की आवाज उसके कान तक आई। वह आगे बढता इसके पहले ही बदमाशों ने असलहा उसके उपर तान दिया। रामविलास के मुताबिक बदमाश पेशेवर लग रहे थे। भागने में भी उन्होंने देर नहीं की। सनद रहे कि सदर कोतवाली के गो¨वदपुर गांव में पांच नवंबर की रात बदमाश मूक-बधिर आशीष मणि को सोते समय गोली मारकर बदमाश फरार हो गए। ऐसे ही कोतवाली क्षेत्र के ही छेरिहवां गांव में प्रापर्टी डीलर राजाराम यादव के घर में 15 नवंबर की रात घुसे बदमाश उसे मौत के घाट उतार कर फरार हो गए। लार में प्रधानाचार्य रामजीत ¨सह व उनके बड़े भाई विजय बहादुर ¨सह को एक साथ मौत के घाट उतार कर शूटर फरार हो गये। तीनों ही घटनाओं को अंजाम देने की तरीका इस मामले में एक है कि हत्यारे चारों लोगों की जान लेकर ही माने। उन्होंने गोली वहीं मारी जहां से जान आसानी के साथ ली जा सके। इस तरह की वारदात सिद्धहस्त लोग ही अंजाम दे सकते हैं। ऐसा पुलिस का भी मानना है। देखना रोचक होगा कि भलुवनी पुलिस जितेंद्र के हत्या की तह तक पहुंचने में कामयाब होती है या फिर कोतवाली व लार पुलिस की भांति वह भी लाचार बनकर रह जाएगी।


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