गोलीकांड के आरोपियों को अभयदान
जागरण संवाददाता, देवरिया : रामपुर कारखाना पुलिस सहबाजपुर गोलीकांड की लीपापोती के अपने प्रयास में आखि
जागरण संवाददाता, देवरिया : रामपुर कारखाना पुलिस सहबाजपुर गोलीकांड की लीपापोती के अपने प्रयास में आखिरकार सफल हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि मातहतों की थोथी दलील का असर पुलिस महकमे के अधिकारियों पर इस कदर हुआ कि गोली अथवा सुई के निशान में फर्क करने में वह गच्चा खा गए। नतीजा गोलीकांड की लीपापोती हो गई।
19 नवंबर की रात रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के सहबाजपुर गांव के चौराहे पर अराजकतत्वों ने अंधाधुंध फाय¨रग की। भनक लगते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंच गई। उसे बताया गया वाहन पर फाय¨रग दो पक्षों के बीच विवाद का परिणाम है। ग्रामीणों के आक्रोश को देख पुलिस ने वाहन कब्जे में ले लिया। फिर पर्दे के पीछे वह खेल शुरू हो गया, जिसने कानून को तार-तार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दूसरे दिन देरशाम को यह खबर उजागर हुई कि दोनों पक्षों की आपसी रजामंदी से सनसनीखेज प्रकरण में सुलह हो गया। यानी कि पंचायत चुनाव के ऐन वक्त गोलियों की गूंज से ग्रामीणांचल को थर्रा देने वालों को पुलिस ने अभयदान देने में देर नहीं की। रामपुर कारखाना पुलिस की इस दरियादिली का असल राज क्या है? अराजकतत्वों पर पुलिस की इस कदर मेहरबानी से वह लोग सकते में हैं, जिन्होंने अपनी आंख से अंधाधुंध फाय¨रग देखी। उनकी नजर में स्थानीय पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। मजे की बात यह है कि रामपुर कारखाना पुलिस ने प्रकरण में उच्चाधिकारियों को गुमराह करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें बताया गया कि बोलेरो पर चस्पा निशान गोली के नहीं बल्कि सुई से बने हैं। पुलिस की यह दलील सीधे-सीधे आंख में धूल झोंकने वाली है। उसे समझना होगा कि बोलेरो की चादर में छेद तो लोहे की धातु से संभव तो है, लेकिन उसके इर्द-गिर्द लोहे की चादर से पेंट का गोलाकार भाग जिस तरह से उड़ा है, उसे गोली के सिवाय अन्य कोई भी नहीं बना सकता। इसके इतर अत्याधुनिक तकनीक से लैस पुलिस के पास कई ऐसे रास्ते हैं जो इस बात का पता आसानी से लगा सकते हैं कि निशान गोली के हैं या फिर कुछ और। क्षेत्राधिकारी सुशील कुमार ¨सह ने कहा कि थानेदार विक्रम ने बताया कि बोलेरो पर चस्पा निशान गोली के नहीं बल्कि सुई से बनाया गया है।