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डेढ़ घंटे तक डकैतों ने बरपाया कहर

जागरण संवाददाता, देवरिया : शहर के पश्चिमी छोर पर डकैतों का बेखौफ गिरोह खौफनाक लूट की वह इबारत लिख गय

By Edited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 11:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 11:19 PM (IST)
डेढ़ घंटे तक डकैतों ने बरपाया कहर

जागरण संवाददाता, देवरिया : शहर के पश्चिमी छोर पर डकैतों का बेखौफ गिरोह खौफनाक लूट की वह इबारत लिख गया, जिसे भूलना न सिर्फ पीड़ित बल्कि पुलिस के लिए भी आसान नहीं होगा। डकैत डेढ़ घंटे तक शहर में लूटपाट करते रहे, फिर भी किसी ने चूं तक नहीं कसा। घोड़े बेचकर सो रही पुलिस की नींद तब टूटी, जब पीड़ित गुहार लेकर उसकी दहलीज पर गए। शहरी बा¨शदे डकैती की इस घटना को पुलिसिया चूक का परिणाम बता रहे हैं। उच्चाधिकारी दावा करते हैं कि जिला मुख्यालय चौबीस घंटे पुलिस के पहरे में रहता है। यहां तक की अपाची व मोबाइल दस्ता रात के अंधेरे में भी शहर की निगरानी करता है। चारों तरफ पुलिस गश्त करती है। इसके अलावा शहर के दो दर्जन से अधिक पिकेट पर पुलिस तैनाती रहती है। किसी भी सूचना पर तत्काल ऐक्शन होता है। अनिल ¨सह के साले पंकज ¨सह कहते हैं कि वारदात अंजाम देकर बदमाश जब फरार होने लगे तो उनके भाई शिवा ने मोबाइल के जरिए पुलिस कंट्रोल रूम से संपर्क साधने की कोशिश की। दर्जनभर से अधिक काल किये गए। फिर भी नंबर नहीं उठा। कोई रिस्पांस ही नहीं मिला। यहां तक कि उन्होंने घटना की जानकारी देर रात में ही बगलगीरों को दी। मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई। पर पुलिस को वारदात की जानकारी तब हुई जब शिवा कोतवाली पहुंचा। उसकी सूचना के बाद कोतवाली पुलिस की नींद टूटी। और वह घटना स्थल पर आई। ---------

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चुप रहो मां, नहीं तो बदमाश भइया को मार डालेंगे

डा. एके राय की बेटी दस वर्षीय रिया के चेहरे पर वारदात के घंटों बाद भी खौफ चस्पा है। उसकी मां बबिता राय ने बताया कि बदमाश ज्यों ही कमरे में दाखिल हुए रिया उनके सीने से चिपक गई। इसके बाद अंकित को पकड़ कर बदमाशों ने बांध दिया और उसकी पिटाई करने लगे। बदमाशों के चंगुल से अंकित को मुक्त कराने के उद्देश्य से बबिता ने जब शोर मचाना चाहा। तब रिया ने मां को सलाह दी कि वह चुप रहे। नहीं तो बदमाश उसके भाई को जान से मार डालेंगे। ----------

नकाबपोश आखिर कौन?

दर्जन भर बदमाशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाला नकाबपोश आखिरकार कौन था? डकैती की इस दुस्साहसिक घटना का कहीं वह सूत्रधार तो नहीं? इस सवाल का सटीक जवाब तो पुलिसिया जांच के बाद ही पता चल सकेगा। लेकिन इकलौते नकाबपोश व घटना में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका पीड़ितों व मोहल्ले वासियों की जुबान पर देर रात तक रही। माना जा रहा है कि बोलचाल से डकैत सुदूर के रहने वाले प्रतीत हो रहे थे। चिन्हित स्थानों तक उन्हें पहुंचाने में नकाबपोश ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया।

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मरेगी तो धन लेकर जाओगी क्या?

लूटपाट की दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने वाले बदमाशों ने गृह स्वामियों पर काबू पाने के प्रयास में अध्यात्म का भी सहारा लिया। बबिता राय के मुताबिक बदमाशों की करतूत से जब वह बिलख कर रोने लगीं तो एक बदमाश आगे बढ़ा। उसने कहा कि क्यों रो रही हो? मरोगी तो धन लेकर स्वर्ग जाओगी क्या? सबकुछ यहीं रह जाएगा। बदमाश का आध्यात्मिक ज्ञान सुनकर बबिता चौंक गईं। इसके बाद उन्होंने चुप रहना ही मुनासिब समझा।

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पुलिसिया कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

घटना स्थल के इर्दगिर्द निवास करने वाले एक पुलिसकर्मी ने खाकी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए खुद की नाराजगी का इजहार किया। मीडियाकर्मियों से मुखातिब होते हुए उसने दो टूक कहा कि निसंदेह लूटपाट की यह घटना पुलिस की चूक का परिणाम है। उसने पुलिस की गश्त पर सवाल खड़ा किया।

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कोडी से मिले पुलिस को अहम सुराग

कुशीनगर डाग स्क्वायड के साथ घटना स्थल पर आई कोडी से पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। डाग हेडलर अवधेश यादव के साथ घटनास्थल पर आई कोडी शहर के पश्चिम ओर भागी। घटना स्थल से करीब डेढ़ किमी दूर नट बस्ती तक गई कोडी के पांव अचानक ठिठक गए। वह बस्ती के इर्दगिर्द मंडराती रही। कोडी से मिले संकेत के बाद पुलिस को संदेह है कि वारदात में नट बस्ती के लोगों की भूमिका संदिग्ध है। ऐसे में वहां के तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

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