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प्रस्तावों में उलझीं यात्री सुविधाएं

देवरिया : रेल हो या परिवहन विभाग, दोनों ने यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, ज

By Edited By: Published: Thu, 25 Jun 2015 10:40 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2015 10:40 PM (IST)
प्रस्तावों में उलझीं यात्री सुविधाएं

देवरिया : रेल हो या परिवहन विभाग, दोनों ने यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, जो आज ठंडे बस्ते में हैं। हालांकि रेल महकमे में कुछ प्रस्ताव पर कच्छप गति से काम चल रहा है, शेष सिर्फ कागजों तक ही समिति रहे। रोडवेज की हालत यह है क चार दशक पुराने जर्जर भवन में चल रहा है। यहां भी यात्री सुविधाओं व कर्मचारियों से संबंधित तमाम प्रस्ताव ठंडे बस्ते में हैं।

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सदर रेलवे स्टेशन को माडल का दर्जा मिलने के बाद भले ही उसे खुबसूरत बनाया जा रहा है, लेकिन माडल स्टेशन पर जो सुविधाएं यात्रियों को मिलनी चाहिए, वह नदारद हैं। देर रात ट्रेनों का इंतजार करने तथा रात में स्टेशन पहुंचने वाले यात्रियों के लिए खाने-पीने की मुकम्मल व्यवस्था के लिए बड़े शहरों की तर्ज पर वातानकूलित फुड प्लाजा बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। इसके लिए प्लेटफार्म नंबर एक पर स्थान भी चिन्हित कर लिया गया था। अधिकारियों ने बकायदे सर्वे भी किया। बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। रेलवे ट्रैक पर इलेक्ट्रिक ट्रेनें दौड़ाने के लिए शुरुआती दौर में तेजी से काम शुरू हुआ। इसके बावजूद 2015 जुलाई में इलेक्ट्रिक ट्रेन दौड़ाने का सपना अधर में लटक गया। भटनी से देवरिया-गोरखपुर तक कार्य पूर्ण नही हो सका है। इसके अलावा पूर्व सांसद स्व.मोहन ¨सह ने रेलवे स्टेशन के पश्चिम मछली हट्टा की तरफ फुट ओवरब्रिज के लिए प्रस्ताव दिया था, वह भी पूरा नहीं हुआ।

देवरिया से सटे कुशीनगर में पर्यटन स्थल पर पर्यटकों को असानी से पहुंचाने के लिए रेल लाइन बिछाने का प्रस्ताव बना था। बाद में इस प्रस्ताव को मंत्रालय ने खारिज कर दिया कि रेलवे लाइन बनने के बाद कुछ साल तक रेलवे को घाटे में ट्रेनें चलानी पड़ेगी।

स्टेशन अधीक्षक कहते हैं कि हाइलेवल का मामला है। प्रस्ताव मुहर लगाने का काम अधिकारियों का है। मेरे पूर्व प्रस्ताव भेजे गए हैं। मैंने इधर कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है।

चार दर्शक पूर्व बना बस अड्डा भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है। परिसर भी धंस गया है, जिसके चलते हल्की बारिश में परिसर तालाब बन जाता है। जर्जर भवन अब टूटने लगा है, जिसको देखते हुए पूर्व एआरएम भागीरथी ने प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा था कि परिसर स्थित मंदिर के पीछे कार्यालय के बीच में जो भूमि खाली है, वहां प्रशासनिक भवन, वर्कशाप का आधुनिकीकरण, प्रत्येक रुटों के लिए प्लेटफार्म बनाया जाए, जिससे यात्रियों को असुविधा न हो। अन्य यात्री सुविधाएं थीं। यह प्रस्ताव विभाग के फाइलों में ही दबा है। जर्जर व्यवस्था के सहारे यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने की कवायद चल रही है।


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