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सूर्यषष्ठी : नहाय-खान के साथ अनुष्ठान शुरू

संत कबीर नगर : काíतक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व पर पुत्रों के दीर्घायु की कामना

By Edited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 02:14 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 02:14 AM (IST)
सूर्यषष्ठी : नहाय-खान के साथ अनुष्ठान शुरू

संत कबीर नगर :

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काíतक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व पर पुत्रों के दीर्घायु की कामना को लेकर माताएं निर्जल व्रत रखेंगी। सोमवार को माताओं ने महाषष्ठी व्रत अनुष्ठान का श्रीगणेश किया। नहाय-खाय से छठ व्रत का अनुष्ठान प्रारंभ हो गया। भगवान सूर्य की पूजा में प्रयुक्त होने वाले सामग्रियों की खरीदारी की।

वैदिक काल से ही भगवान सूर्य की उपासना की परंपरा चली आ रही है। इसी कड़ी में काíतक शुक्ल षष्ठी को सूर्योंपासना महापर्व डाला छठ का आयोजन होता आ रहा है। मनोकामनाओं की पूíत से छठ महारानी के प्रति आस्था बढ़ी है। छठ पर्व के मद्देनजर घर व पूजा स्थलों पर तैयारियां की गई है। पूरे दिन खरीदारी का सिलसिला चलता रहा। बाजार में खरीदारी करने वालों में खासकर महिलाओं का उत्साह देखते बन रहा था। सड़क व बाजार ग्राहकों से पटा रहा। आवक कम होने के कारण पर्व में प्रयोग होने वाले सामान के दामों में भारी उछाल रहा। -----------------

आज होगा खरना

-मंगलवार को खरना के साथ सूर्यषष्ठी अनुष्ठान का द्वितीय चरण शुरू होगा। खरना के बाद व्रती माताएं साफ-सुथरे विस्तर पर शयन कर पूरी सात्विकता बरतती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं दिन में आंशिक उपवास करके सायंकचल स्वच्छ स्थान पर चूल्हे को स्थापित च्र अच्छत, धूप, दीप व सिन्दूर से उसकी पूजा करेंगी। इसके बाद आटे से फुल्के तथा साठी की खीर पकाएंगी। 'रसियांव-रोटी' बनाने के बाद में चौके में ही खरना करेंगी। रोटियां बनाने के बाद बचे हुए आटे से एक छोटी सी रोटी या टिकड़ी बनाकर रखेंगी, इसे ओठंगन कहते हैं। व्रत की समाप्ति पर इस रोटी का सेवन करके व्रत पूरा कर पारण करेंगी। खरना के पूर्व व्रती महिलाएं हथेली के आकार की तस्तरी में धूप देने के बाद थाली में परोसे हुए संपूर्ण सामान में से थोड़ी -थोड़ी सामग्री लेकर डालती है।

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छठ की दिखने लगी छटा

-छठ पर्व की छटा घर से लेकर घाट व बाजार में दिखने लगी है। घरों में जहां जबरदस्त तैयारी की जा रही है, वहीं घाट व पूजा स्थल पर बेदी बनाई जा रही है। नगरपालिका खलीलाबाद द्वारा समय माता मंदिर, पुरानी तहसील स्थित बड़े पोखरे, सुगर मिल के सामने व्यापक प्रबंध किए जा रहे हैं। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन के पास साफ-सफाई के बाद प्रकाश आदि का समुचित प्रबंध किया गया है। इसके साथ नगर व आसपास के पूजा स्थलों पर इंतजाम किए जा रहे है। ग्रामीण

अंचलों में सरोवर, पोखरा, नदी तट बागीचा, आंगन आदि स्थानों में छठ पूजा की व्यवस्था बनाई जा रही है।

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आस्था पर महंगाई की मार

-छठ पर्व में प्रयुक्त होने वाले सामानों के दाम आसमान छू रहे हैं। आस्था पर महंगाई की मार के बाद उत्साह से खरीदारी हो रही है। अनुष्ठान करने वाले परिवार एक दूसरे को प्रसाद स्वरूप फल बांटने व अन्य सामग्री का प्रयोग करते देखते हुए बड़े-बड़े दुकानदार भी लाभ उठाने के लिए फलों व अन्य सामग्रियों की दुकानें लगाए हैं। व्यवसायी विनय कुमार, चंदू, प्रकाश, विशाल, प्रमोद, अशोक कुमार ने बताया कि यह बाजार दो-तीन दिन का ही होता है। सामान बाहर से आ रहे अधिक मूल्य पर मिल रहे हैं।

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बिना सीजन वाले फल

-शहर के साथ जनपद के बाजारों में साथ बिना सीजन वाले फल उपलब्ध है। पर्व पर गोला बाजार, मुखलिसपुर तिराहा, मेहदावल बाईपास, बरदहिया बाजार, बैंक चौराहा के साथ जिले के बाजार में रौनक रही। आम 200 रुपये किग्रा, बैर 220, नाशपाती 45, पनियाला 100, संतरा 70 रुपये प्रति किग्रा की दर से बिका।

बाजार में बडा नीबू से 20 से 30 रुपये, अमरस 5 रुपये, नारियल 20 से 30 रुपये, शरीफा 5 रुपये, अनार 5 से 10 रुपये, पपीता 20 से 30 रुपये पीस, सूथनी 28 रुपये, गंजी 30 रुपये, मौसमी 45 रुपये, अमरूद 25 रुपये, अंगूर 200 -300 रुपये, खरबूजा देशी 60, खरबूजा पीला 80, सेब 100 रुपये तथा केला 20 से 30 रुपये प्रति दर्जन के हिसाब से बिक रहा था। इसी तरह हल्दी, गाजर, आदि का पौधा एक रुपये से तीन रुपये से पांच रुपये, सूप 50 रुपये व डालियां 50-90, दउरा 150 रुपये का बिका।

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