यह अस्पताल भी बीमार
देवरिया : नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरहज में न स्वास्थ्य कर्मियों के बैठने की व्यवस्था है और न ह
देवरिया : नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरहज में न स्वास्थ्य कर्मियों के बैठने की व्यवस्था है और न ही मरीजों के इलाज की समुचित व्यवस्था। यह अस्पताल आम आदमी को हर तरह की स्वास्थ्य सेवाएं देने के शासन के दावे की पोल खोल रहा हैं। यहां आवश्यक सुविधाओं का टोटा है। भवन इतना जर्जर हो गया है कि उसमें जाने से डर लगता है। वार्ड भूतखाना बने हुए हैं। पेयजल का इंतजाम नहीं है। अंदर से बाहर तक गंदगी पसरी है।
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एक वर्ष बाद मिला चिकित्सक
वस्त्रोद्योग एवं हथकरघा विभाग के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार के निर्देश पर सीएमओ ने एक वर्ष बाद अस्पताल में एमबीबीएस डाक्टर की तैनाती की है, लेकिन फार्मासिस्ट की कुर्सी अभी भी खली है। लैब तकनीशियन पर फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी है, जिससे जांच का काम प्रभावित होता है। वार्ड ब्वाय, लैब तकनीशियन के अलावा एनएमए, स्वीपर और गर्भवती महिलाओं व बच्चों के टीकाकरण के लिए दो एएनएम की तैनाती है। चिकित्सक लैब तकनीशियन स्वीपर को छोड़कर अन्य कर्मी अक्सर गायब रहते हैं। ..........
जर्जर भवन खतरे में जान
भवन की हालत यह है कि उसमें जाने से डर लगता है। पांच साल पूर्व विभाग ने आधा अधूरा मरम्मत कराकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। हालत यह है कि छत व दीवारें में दरारें हैं। प्लास्टर उखड़ रहा है कि बरसात के दिन में बैठना तक मुश्किल हो जाता है। वार्ड भूतखाना नजर आ रहा है। डिलेवरी रूम, लैब, बरामदा, टीकाकरण की भी यही स्थिति है।
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पेयजल का इंतजाम नहीं
अस्पताल में मरीजों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। परिसर में लगा एक मात्र हैंडपंप दूषित जल उगल रहा है। मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों को पानी पीने के लिए बाजार में दुकानों पर जाना पड़ता है। सर्वाधिक दिक्कत महिलाओं को झेलनी पड़ रही है।
सफाई व्यवस्था की हालत भी बदतर है। अस्पताल परिसर मूत्रालय बनकर रह गया है। कारण कि दो बजे के बाद लोगों को कोई टोकने वाला नहीं है। परिसर में प्रवेश करते ही दुर्गध के चलते नाक पर रुमाल रखना पड़ता है। प्रसव कक्ष में गंदगी का अंबार है। बेड की सफाई भी नियमित नहीं होती। भवन के उत्तर तरफ कूड़े का ढेर है।