भूमि विवाद में पिटाई, अधेड़ की मौत
देवरिया: भटनी थाना क्षेत्र के ग्राम मिश्रौली कोईलार के सोनरापार में खेत के मेड विवाद को लेकर कुछ
देवरिया:
भटनी थाना क्षेत्र के ग्राम मिश्रौली कोईलार के सोनरापार में खेत के मेड विवाद को लेकर कुछ लोगों ने अधेड़ पर हमला बोल दिया, जिससे अधेड़ गंभीर रुप से घायल हो गया। बाद में उसे इलाज के लिए पीएचसी पहुंचाया गया, जहा चिकित्सकों ने हालत गंभीर देख उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल लाते समय रास्ते में ही अधेड़ ने दम तोड़ दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। समाचार लिखे जाने तक इस मामले में मुकदमे की कार्रवाई नहीं हो सकी थी।
सोनरापार निवासी रमेश पांडेय 45 पुत्र नंद किशोर पांडेय के खेत के बगल में गांव के ही एक व्यक्ति का खेत है। बताया जा रहा है कि पड़ोसी खेत वाला मेड बांध रहा था। जब उसको रमेश पांडेय मना करने गए तो कहासुनी शुरू हो गई और विवाद बढ़ गया। इसके बाद दूसरे पक्ष के लोगों ने रमेश पर लाठी डंडा से हमला बोल दिया। यह देख आसपास के लोग पहुंचे और बीच-बचाव कर रमेश पांडेय को इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। जहां से फार्मासिस्ट ने हालत गंभीर देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जिला अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही रमेश पांडेय ने दम तोड़ दिया। सूचना मिलने के बाद मौके पर पुलिस पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई। साथ ही एक को हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद गांव में तनाव जैसा माहौल पैदा हो गया है। इस बाबत इंस्पेक्टर रामाश्रय ने कहा कि भूमि को लेकर विवाद हुआ था। शव को कब्जे में ले लिया गया है। तहरीर अभी तक नहीं मिली है। आरोपियों की तलाश की जा रही है। जल्द ही घटना का खुलासा कर दिया जाएगा।
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पुलिस व राजस्व विभाग की है लापरवाही
घटना में पुलिस व राजस्व विभाग दोनों की लापरवाही नजर आ रही है। यह विवाद लगभग ग्यारह वर्ष से चल रहा है। 2003 में इस भूमि का पैमाइश हुआ और पत्थर नसब भी हो गया। इसके बावजूद भी दूसरा पक्ष मानने को तैयार नहीं था। तीन माह पहले भी मेड को ही लेकर विवाद हुआ था और पुलिस को इसकी सूचना गई थी। अगर पुलिस व राजस्व विभाग के लोग इसे पहले ही गंभीरता से लिए होते और मामले का निस्तारण करा दिया होते तो शायद यह घटना नहीं होती और रमेश पांडेय की जान बच जाती।
डाक्टर होते तो बच जाती जान
भटनी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है, लेकिन आए दिन यहां चिकित्सक के न होने की सूचना मिलती रहती है। जब रमेश पांडेय को लोग अस्पताल लेकर गए तो उस समय अस्पताल पर कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। फार्मासिस्ट ने उपचार किया और फिर हालत गंभीर देख जिला अस्पताल रेफर कर दिया। लोगों का कहना है कि अगर चिकित्सक होता तो शायद अच्छी तरह से इसी अस्पताल पर ही उपचार हो गया होता और रमेश की जान बच जाती।
बेटे की मौत की सूचना मिलते ही फफक पड़े नंदकिशोर
रमेश पांडेय एक खुश दिल व्यक्ति थे और गांव के हर लोगों से मिलकर रहते थे। जब उनके मौत की सूचना लोगों को मिली तो हर लोगों की आंखें भर आई। जबकि पैर से परेशान पिता नंदकिशोर दहाड़ मारकर रोने लगे। चारों तरफ केवल चित्कार ही सुनाई देने लगा।
नंदकिशोर पांडेय को तीन बेटे थे, जिसमें उमेश के पैर में गड़बड़ी है और नंद किशोर के पैर में ही गड़बड़ी है। जबकि रमेश पांडेय आटा चक्की चलाने के साथ ही लोगों के यहां पूजा-पाठ का काम भी कराते थे। उसी से परिवार का भरण-पोषण होता था। जब उनके ऊपर हमला होने की सूचना मिली तो भाई उमेश विकलांग पैर लिए ही खेत की तरफ बढ़ गया और पिता उठने में भी अक्षम दिख रहे थे। इसी बीच उनके मौत की भी सूचना मिल गई। मौत की सूचना मिलते ही पिता नंदकिशोर व भाई उमेश दहाड़ मारकर रोने लगे। जबकि पत्नी ऊषा देवी तो सुनते ही बेहोश हो गई। कुछ देर बाद होश में आई तो अपने पति को एक झलक दिखाने की जिद्द करने लगी। बेटा विकास व मुकेश तथा बेटी खुशबू का रोते-रोते बुरा हाल था। इनको रोता देख वहां खड़े हर किसी की आंखें भर आई।