सत्कर्म ही जीवन की सार्थकता: राजेंद्र पाठक
जागरण संवाददाता, देवरिया: जीवन का लक्ष्य सिर्फ जीना नहीं है। सत्कर्म के द्वारा मानव समाज की सेवा
जागरण संवाददाता, देवरिया: जीवन का लक्ष्य सिर्फ जीना नहीं है। सत्कर्म के द्वारा मानव समाज की सेवा करना ही जीवन की सार्थकता है। अधर्म के रास्ते पर चलने वालों का जीवन व्यर्थ है।
यह विचार कथा व्यास पं. राजेंद्र पाठक ने व्यक्त किया। वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विश्वनाथ त्रिपाठी की स्मृति में विश्वनाथ त्रिपाठी शिक्षण संस्थान बरहज में आयोजित श्रीराम कथा के पहले दिन बुधवार को कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि हम स्वर्ग प्राप्ति के लिए हर जतन करते हैं, लेकिन यश अपयश का ध्यान नहीं देते। स्वर्ग तो रावण और ताड़का को मिला, लेकिन यश विभीषण को मिला। राक्षस होते हुए भी विभीषण सत्कर्म पर चला और उसका जीवन धन्य हो गया।
मानस मणि नीलम गायत्री ने कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिए मनुष्य मंदिरों पर मत्था टेकता है, लेकिन खुद को ईश्वर को समर्पित नहीं करता। आप ईश्वर को हो लीजिए वह खुद ही आपको मिल जाएंगे।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि भागलपुर के पूर्व ब्लाक प्रमुख दीपक मिश्र शाका ने मां सरस्वती व विश्वनाथ त्रिपाठी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन तथा माल्यार्पण से किया। इस मौके पर प्रबंधक विरेंद्र त्रिपाठी, प्रधानाचार्य अरविंद त्रिपाठी, विनोद मिश्र, केवी सिंह, रामगोपाल सोनकर, शत्रुघ्न गुप्ता, दुर्गेश पांडेय, वंदना पांडेय, नेहा सिंह, प्रियंका मालवीय, साधना सिंह आदि मौजूद रहे।