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शाबास पूजा, तुझ सा नहीं दूजा

By Edited By: Published: Sat, 23 Aug 2014 10:13 PM (IST)Updated: Sat, 23 Aug 2014 10:13 PM (IST)
शाबास पूजा, तुझ सा नहीं दूजा

देवरिया : देवरिया को तुम पर नाज है पूजा। कल की घटना से पहले और आज तक तेरे जैसा कोई दूजा नहीं मिला। वाकई, गलत बात का विरोध करके तुमने मेधा से उर्वर इस सरजमीं का मान बढ़ा दिया। तुम्हारे जैसी युवतियां ही तो मैरी काम से लेकर मर्दानी की छवि रचती हैं। घर से बाहर निकलने वाली बेटियों का तुम्हे सलाम।

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न्यू कालोनी स्थित संत विनोबा पीजी कालेज के निकट शोहदों को छनौटा से पीटने वाली पूजा को लेकर कुछ इसी तरह की प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। वो कहती हैं कि आज समाज में लोग दर्शक की भूमिका में नजर आ रहे हैं। कोई किसी की मदद नहीं कर रहा है, बल्कि तमाशा देखते हैं, इसलिए जरुरत है खुद को मजबूत करने की, तभी समाज में सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकते हैं। खासकर लड़कियों को मजबूत बनने की जरूरत है। ऐसी घटनाएं यदि होती है, तो लड़ने से पीछे न हटें बल्कि तब तक लड़े जब तक शरीर में जान है।

भलुअनी थाना क्षेत्र के परसिया अजमेर निवासी अवधेश दूबे की पांच पुत्रियों में सबसे छोटी पूजा बीते एक दशक से देवरिया स्थित राघवनगर मोहल्ले में डा.विनय पांडेय के घर रहती है। पूजा की बड़ी बहन डा.पांडेय के पुत्र से ब्याही है। सामान्य किसान की होनहार बेटी पूजा ऊर्फ गौरी न्यायिक सेवा में जाने का सपना संजोए संतो विनोबा पीजी कालेज से एलएलबी की पढ़ाई कर रही है। एक वर्ष पूर्व पूजा ने रवींद्र किशोर शाही स्टेडियम में कोच गिरीश सिंह ने नेतृत्व में ताइक्वाडो (ग्रीन बेल्ट) सीखा जिससे वह आत्मरक्षा करने में सक्षम हो गई। पूजा बताती हैं कि समाज की बुराइयों को देखते हुए खुद को मजबूत करने के इरादे से मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लिया था। शायद यही वजह है कि जब शोहदों ने फब्ती कसी तो मेरे अंदर का वह मजबूत इंसान जाग उठा और उन्हें सबक सिखाने की ठानी। समोसा खाने के दौरान ही मेरी नजर छनौटा पर पड़ी। बस फिर क्या था, हाथ में छनौटा लेकर शोहदों की पिटाई शुरू कर दी। उस दौरान शोहदों ने भी मुझे मारा, लेकिन वह चोट मुझे महसूस नहीं हुई। मेरी सहेली ने मेरा हाथ पकड़ लिया, वरना उन्हें मौके से भागने नहीं देती। उन्हें उसी वक्त उनके सही स्थान पर पहुंचा देती। वह कहती हैं कि औरतें खुद को कमजोर न समझें, उनके अंदर एक मजबूत इंसान है, बस जरूरत है, इरादे को धार देने की। फिर ऐसे तत्व समाज में नजर नहीं आएंगे।

दीदी पर है इन्हें गर्व, मांगा वीरता पुरस्कार

स्टेडियम में ताइक्वांडो सीखने वाली छात्राएं शोहदों की पिटाई की घटना से प्रफुल्लित हैं। कहती हैं दीदी की बहादुरी पर हमे गर्व है। शनिवार की शाम स्टेडियम पहुंची पूजा ने छात्राओं का उत्साहवर्धन भी किया। इस दौरान छात्राओं को टिप्स भी दिए। छात्राओं ने कहा कि हम भी दीदी की तरह बनेंगे। ताइक्वांडो में कई पुरस्कार जीत चुकी प्रगति सिंह कहती हैं दीदी ने तो कमाल कर दिया। अकेले कई मनचलों को सबक सिखाकर मिसाल कायम की है। उन्हें वीरता पुरस्कार दिया जाना चाहिए। वहीं तुलिका पांडेय कहती हैं कि समाज में हर लड़की को आत्मरक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। ज्योति मिश्रा कहती हैं कि हम किसी ने कम नहीं हैं। यह अलग बात है कि संकोचवश या प्रतिष्ठा के लिए लड़कियां कभी-कभी मुंह नहीं खोलती, जिसे लोग कमजोरी समझ लेते हैं, लेकिन दीदी ने ऐसे लोगों को करारा जवाब दिया है। सुनिधि यादव, नितिका पाठक, अंजलि कुमारी सहित तमाम लड़कियां कहती हैं कि हमने ठान लिया है, अब और नहीं। शोहदों की उनके किए की कीमत अब मौके पर ही चुकानी पड़ेगी। सभी ने एक स्वर से कहा कि दीदी को बहादुरी के लिए यदि वीरता पुरस्कार दिया जाता है, तो बेटियों का मनोबल बढ़ेगा।

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पूजा को सम्मानित कराउंगा : जिला क्रीड़ा अधिकारी

जिला क्रीड़ा अधिकारी सर्वदेव सिंह यादव कहते हैं कि बेटियों के प्रोत्साहन के लिए पूजा को सम्मानित कराया जाएगा। स्टेडियम में अनावश्यक घूमने वाले युवकों पर अंकुश लगाने की पहल करने वाले श्री यादव कहते हैं कि पूजा जैसी हिम्मत व हौसले वाली बेटी हो तो माता-पिता को जरूर सुकून मिलेगा। हर माता-पिता अपनी बेटी को ऐसे माहौल दें, उसे समाज की बुराइयों से लड़ने लायक बनाएं। शोहदों के मन में खौफ पैदा हो, तो साफ-सुथरे समाज की परिकल्पना साकार हो जाएगी।

मेरी गुरु दक्षिणा मिल गई : कोच गिरीश सिंह

देवरिया ताइक्वांडो संघ के सचिव व रवींद्र किशोर शाही स्पो‌र्ट्स स्टेडियम के कोच गिरीश सिंह कहते हैं कि पूजा एक वर्ष पहले ताइक्वांडो सीखने आई थी। खेल के दौरान ही उसकी प्रतिभा सामने आ गई। बहुत कम समय में उसने मार्शल आर्ट में दक्षता हासिल कर ली। पढ़ाई की वजह से इधर प्रशिक्षण पर विराम लगा है। घटना की जानकारी होने पर उसे तत्काल बधाई दी। मुझे लगा कि वास्तव में मेरी गुरुदक्षिणा मिल गई है। उसने जिस बहादुरी से शोहदों का मुकाबला किया। उसकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। ऐसी कामना है कि हर बेटी पूजा बने। हिम्मत पैदा करे, जिससे समाज में फैली इन बुराइयों को वह अपने दम पर मिटा सके। प्रदेश सरकार से अपेक्षा है कि देवरिया की पूजा को रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार से नवाजे, ताकि बेटियों का मनोबल बढ़े। इसके साथ ही विद्यालयों के पाठ्यक्रम में मार्शल आर्ट को शामिल किया जाए।


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