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नियम व व्रत के साक्षात रूप हैं भरत

By Edited By: Published: Sun, 13 Apr 2014 09:30 PM (IST)Updated: Sun, 13 Apr 2014 09:30 PM (IST)
नियम व व्रत के साक्षात रूप हैं भरत

जागरण संवाददाता,देवरिया:

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नगर के मुंसिफ कालोनी में चल रहे श्री रामकथा के सातवें दिन वृंदावन से पधारे पंडित विद्याभूषण जी महाराज ने भरत चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भरत जी नियम व व्रत के साक्षात रूप हैं। भरत जी प्रेम स्वरूप, दिव्य देवता हैं। भगवान राम अपने हृदय के करीब सबसे अधिक भरत जी को ही पाते हैं। उन्होंने कहा कि भाई विपत्ति बांटने के लिए होता है न कि संपत्ति बांटने के लिए। भरत जी द्वारा चाणुपादुका प्राप्त करना तथा वैराग्य स्वरूप लक्ष्मण जी द्वारा संशय उत्पन्न होने पर संशय नाथ की कथा सुनाई।

इस दौरान कथा में बच्चों द्वारा शबरी चरित्र की मनोहारी झांकी प्रस्तुति की गई। जिसकी सभी ने सराहना की। इस अवसर पर रजनीश मणि, उमाशंकर, सुधांशु रंजन, अजय सिंह, श्रीधर, गोपाल सिंह, उमापति त्रिपाठी, घनश्याम तिवारी, संतोष आदि उपस्थित रहे।


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