.. तो यह पोल गिरेगा ही
जागरण संवाददाता, देवरिया : राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत गांवों के विद्युतीकरण में ठेकेदारों द्वारा जमकर मानक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आलम यह है कि पोल लगाने में जहां स्टोन पैड व कंक्रीट का प्रयोग होना चाहिए, वहीं कंपनी गड्ढे में झावां ईट डालकर पोल खड़ा करा रही है। अगर आंधी आई तो पोल का गिरना लगभग तय है। आलम यह है कि जिले के 27 लोहिया गांवों के विद्युतीकरण की जिम्मेदारी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत एक कंपनी को सौंपी गई है।
वर्ष 2012-13 में जिले में 27 लोहिया गांव का चयन हुआ था, जिसमें 281 लाख रुपये खर्च कर विद्युतीकरण कार्य कराया जाना था। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत कंपनी से कार्य शुरू कराया गया।
चलते है सदर विकास खंड क्षेत्र के लोहिया गांव सरौरा की तरफ । दो वर्ष बीतने के बाद राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत कार्य शुरू हुआ। कंपनी द्वारा जो कार्य कराए जा रहे हैं उसमें मानक की अनदेखी की जा रही है। पोल लगाते समय गड्ढे में तीन से चार इंच मोटा स्टोन पैड के बाद पोल लगाकर उसमें कंक्रीट डाला जाता है, लेकिन ठेकेदार द्वारा बिना स्टोन पैड के झावां ईट व मिट्टी डालकर पोल लगाया जा रहा है। बानगी के तौर पर सरौरा गांव की कार्ययोजना पर गौर करें तो विभाग द्वारा कुल 12.90 लाख की कार्ययोजना बनाई गई थी, जिसमें सरौरा खास 2.15 लाख, दक्षिण टोला 1.90 लाख, धुमनगर 2.58 लाख, खटिक टोला 2.1 लाख व हथियागढ़ 3.95 लाख शामिल है।
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''राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युतीकरण हो रहा है, जिसमें पोल लगाते समय गड्ढे में तीन से चार इंच मोटा स्टोन पैड व कंक्रीट डाला जाता है तथा पोल 30 से 40 मीटर की दूरी पर लगाए जाएंगे। अगर ऐसा नहीं किया जा रहा है तो गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।''
एके सिंह
अधिशासी अभियंता
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''राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत पोल लगाते समय गड्ढे में कंक्रीट की जगह झावां ईट डालकर उसमें मिट्टी भरी जाती है। पोल की दूरी गांव में जगह के अनुसार तय किया जाता है।''
अली नबी (मैनेजर)
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण
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