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चित्रकूट में नहीं मिली एंबुलेंस, गोद में लेकर गई पुत्र का शव

चित्रकूट में जिला चिकित्सालय में लापरवाही का आलम बरकरार है। एक बच्चे की मौत के बाद भी मौजूद स्टाफ ने उसकी सहायता करना उचित नहीं समझा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 12:52 PM (IST)
चित्रकूट में नहीं मिली एंबुलेंस, गोद में लेकर गई पुत्र का शव
चित्रकूट में नहीं मिली एंबुलेंस, गोद में लेकर गई पुत्र का शव

चित्रकूट (जेएनएन)। चित्रकूट में चिकित्सा विभाग की घोर लापरवाही के कारण एक महिला को अपने पुत्र का शव गोद में लेकर जाना पड़ा। बीमार पुत्र के इलाज के लिए महिला ने उचित चिकित्सा की मांग की, न मिलने पर उसके पुत्र ने दम तोड़ दिया। इसके बाद भी शव वाहन न मिलने पर गोद में पुत्र का शव लेकर गई।

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चित्रकूट में जिला चिकित्सालय में लापरवाही का आलम बरकरार है। एक बच्चे की मौत के बाद भी मौजूद स्टाफ ने उसकी सहायता करना उचित नहीं समझा। एंबुलेंस न मिलने पर महिला को मजबूरन अपने बच्चे के शव को गोद में लेकर गंतव्य को जाना पड़ा। उधर, सीएमएस ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। एंबुलेंस की मांग करने पर उपलब्ध कराई जाती है।

चित्रकूट के मऊ क्षेत्र के पाली मजरा परदवां निवासी राधेश्याम मिश्र के ढाई वर्षीय पुत्र अभय को गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय में 16 की रात को भर्ती कराया गया था। राधेश्याम की पत्नी मंजू का आरोप है कि आधी रात को उसके बच्चे की हालत बहुत खराब हो गई। इसकी जानकारी वह मौजूद स्टाफ को दी। 

इस पर स्टाफ ने कहा कि ग्लूकोज की बोतल चढ़ रही है। इससे ज्यादा यहां कुछ नहीं हो सकता क्योंकि इस समय यहां पर कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं है।

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मंजू का कहना है कि उसने अंतत: बच्चे का इलाज कहीं और कराने का मन बनाया। वह वार्ड में थी तभी बच्चा हमेशा के लिए शांत हो गया। रोते बिलखते मंजू अपने पिता लाला के साथ बाहर निकलने लगी।

इसकी जानकारी होने के बावजूद मौजूद स्टाफ ने शव को घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था कराने में कोई रुचि नहीं ली। एंबुलेंस की मांग करने व न मिलने पर मंजू अपने बच्चे के शव को कंधे पर लादकर पिता के साथ गांव को चल दी।

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करीब एक किमी. तक की दूरी तय करने के बाद मंजू अपने बाइक सवार परिवारीजन के साथ गांव को गई। उधर, सीएमएस डा. एनके गुप्ता का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। शव ले को एंबुलेंस की मांग की जाती तो उन्हें जरूर वाहन उपलब्ध कराया जाता। जहां तक बात स्टाफ की लापरवाही का है तो वे जांच कराएंगे दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।

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