उभरते भारत का संदेश दे रहा ग्रामोदय मेला
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामीण भारत के दर्शन कराने वाले Þग्रामोदय मेला'में शाइ¨नग इंडिया भी दिख
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : ग्रामीण भारत के दर्शन कराने वाले Þग्रामोदय मेला'में शाइ¨नग इंडिया भी दिखा। कौशल विकास के बल पर कैसे ग्रामीण परिवेश से उठकर लोग आगे बढ़ रहे हैं यह भी मेला में देखा जा सकता है। प्रदर्शनी में लगे तमाम स्टाल इसकी मिशाल हैं। वैसे ग्रामोदय मेला के मुख्य मंच में लगा फ्लैक्श भी में ग्रामीण भारत बढ़ते कदम को दिखाया गया है। उसमें स्लोगन लिखा है कि Þदेश की प्रगति में भागीदार बनिए, उभरते भारत का साक्षात्कार करिए।'इसमें एक ओर चरखा और ग्रामीण का हाथ तो दूसरी ओर मशीनिक पार्ट रोबो¨टग हाथ के साथ बना है।
इकराम लकड़ी में करते हैं अनूठी नक्कासी
ग्रामोदय मेले में एक छोटी-सी लकड़ी के खिलौने दुकान सबको आकर्षित कर रही है। सहारनपुर से आए इकराम ने बताया कि उनकी दुकान में लकड़ी के बर्तन, रसोई के सामान, दीवार घड़ी, कलम और खिलौने सहित अन्य उपयोगी और सजावटी सामग्री ब्रिकी के लिए उपलब्ध है। पिछले सालों से वह देश के विभिन्न हिस्सों मे अपनी दुकान लगाते रहे हैं। औसतन एक मेले में पांच से सात हजार तक की बचत हो जाती है। बांदा से मेला भ्रमण के लिए आईं मोनिका ने बताया कि उन्हें इस दुकान पर उपलब्ध सामग्री बहुत पसंद आ रही है। मोनिका ने यहाँ से दीवार घड़ी और बच्चों के लिए खिलौने भी खरीदे।
हाथों में है हुनर तो क्यों करें पलायन
मेले में अनेक स्वयं सहायता समूहों ने अपनी प्रदर्शनी लगाई। भरतपुर की सुनीता भी अपने स्वयं सहायता समूह'हथकरघा एवं दस्तकारी समिति मर्यादित भरतपुर'की प्रदर्शनी लेकर आईं हैं। वह मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। वर्तमान में उनके स्वयं सहायता समूह में लगभग 150 कर्मचारी काम कर रहे हैं। उनके प्रयास से अब आसपास के लोगों को रोजगार के लिए शहरों में पलायन नहीं करना पड़ता। लोग अपने ही गाँव में रहकर कमाई कर रहे हैं। उनका समूह हांथों से बुने वस्त्र बनाते हैं। सुनीता बताती हैं कि इस समूह के प्रारंभ होने के बाद से अब हम लोग आत्मनिर्भर हो रहे हैं। हमें रोजगार के लिए इधर-उघर भटकना नहीं पड़ता। हमारा समूह पुरुषों के लिये कुर्ता-पजामा, सर्ट, गमछा सहित अन्य वस्त्र तैयार कर बिक्री करता है। महिलाओं के कपड़े भी बनाए जाते हैं। यहां पर काम करने वालों की प्रति व्यक्ति आय सात से आठ हजार रुपये प्रति माह है। उन्होंने बताया कि हमारे समूह का स्टाल प्रति वर्ष देशभर के लगभग 40 स्थानों पर जाता है।
कौशल विकास-भारत विकास का नारा बुलंद
केंद्र सरकार के अधिकांश विभाग की लगी प्रदर्शनी में शाइ¨नग इंडिया के दर्शन होते हैं खास कर कौशल विकास विभाग की लगी प्रदर्शनी में विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी से साथ इस मेला में युवा अपना रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं। इस पांडाल में बड़ी-बड़ी स्कीन से कौशल विकास की सफल कहानी भी लोगों के सामने प्रदर्शित की जा रही है।
अन्ना प्रथा रोकने का गुर सिखा रहे छात्र
एकेएस विश्वविद्यालय सतना के कृषि संकाय के छात्रों ने भी मेले में अपना स्टाल लगाया है। विवि के छात्र अंकिता सोनी, कपिल रघुवंशी, आकाश चौरसिया, प्रियांश आदि ने बताया कि बुदेलखंड़ की बड़ी समस्या अन्ना प्रथा है उस पर अंकुश लगाने का लिए उन्होंने एक घोल तैयार किया है। गौमूत्र और गोबर से बने घोल को यदि खेत के चारों ओर करीब तीन फिट चौड़ाई में छिड़क दिया जाए तो जानवर खेत में नहीं फटकेंगे। उन्होंने बताया कि दीमक नियंत्रण, इल्ली कीट नियंत्रण के भी नुक्शे तैयार किए हैं। जिसका लाभ किसान उठा सकते हैं।
नमामि गंगे प्रदर्शनी
नमामि गंगे की प्रदर्शनी भी ग्रामोदय मेला की आकर्षण का केंद्र है। इस प्रदर्शनी में गंगा सहित जो भी सहायक नदियां हैं उनको योजनाओं को दर्शाया गया है। वैसे प्रदर्शनी के मुख्य गेट पर रामघाट के भव्य मंदिरों के साथ मंदाकिनी का फोटोयुक्त फ्लैक्स लगाया गया है जिससे लोग अनायास ही ¨खचे चले जाते हैं।
नेहरू युवा केन्द्र की प्रदर्शनी
ग्रामोदय मेला में नेहरू युवा केन्द्र सतना द्वारा युवाओं के सर्वागीण विकास हेतु संचालित गतिविधियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें डिजिटल इण्डिया, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, युवा मण्डल द्वारा किये गये गंगा सफाई, मंदाकनी सफाई, स्टैण्ड अप इंडिया एवं पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद, नानाजी देशमुख के अपने नही अपनों के लिये -अपने वे हैं जो पीडित और उपेक्षित हैं का चित्रण किया गया है। नियमित कार्यक्रम पर आयोजित गतिविधियों के छायाचित्र लगाये गये है। जिला युवा समन्वयक आर.एन.त्यागी ने बताया कि नेहरू युवा केन्द्र द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी लोगों को दी जा रही हे। प्रदर्शनी में एम.पी.द्विवेदी, स्वयंसेवक वर्षा अग्रवाल, साजदा परवीन, अंजुल खरे, अविनाश वर्मा व जयप्रकाश बैस आदि युवाएं अपनी सेवायें दे रहे हैं।