युवाओं को दिया गया मोती उत्पादन का प्रशिक्षण
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मोती उत्पादन तकनीक की बारीकियों एवं कौशल को सीख कर युवा पारंगत हो सकें इ
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : मोती उत्पादन तकनीक की बारीकियों एवं कौशल को सीख कर युवा पारंगत हो सकें इसके लिये पांच दिवसीय मोती संवर्धन प्रशिक्षण आयोजित किया गया। जिसमें ग्वालियर, बहराइच, इलाहाबाद, आजमगढ़, लखनऊ, भिवानी (हरियाणा) के साथ जिले के युवाओं ने तकनीकी कौशल सीखा।
तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित प्रशिक्षण में अपने आस-पास के जल क्षेत्रों में उपलब्ध सीपियों में छोटा सा आपरेशन करके कैसे अच्छी गुणवत्ता युक्त मोती तैयार कर सकते हैं इसकी विस्तृत जानकारी दी गई। सबसे पहले कौन सी सीपियों से मोती उगाई जा सकती है इसकी जानकारी तथा शल्य क्रिया करके लाकेट वाला मोती (डिजाइन पर्ल) गोल मोती तथा अर्ध गोल मोती एवं छोटा गोल मोती उत्पादन करने की तकनीक प्रशिक्षणार्थियों ने स्वयं करके सीखी। इससे उनमें आत्मविश्वास जाग्रत हुआ। प्रशिक्षण के दौरान नदियों में जाकर सीपियां एकत्रित करने से लेकर तैयार मोती की साफ-सफाई, क¨टग, पालिश तथा बिक्री कैसे कर पायेंगें इसका गुण युवाओं ने सीखा। आपरेशन के पश्चात सीपियों के रख-रखाव के तरीके तथा भोजन व्यवस्था के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर प्रमाण पत्र के साथ साहित्य भी उपलब्ध कराया गया। प्रशिक्षण केन्द्र के वैज्ञानिक कमलाशंकर शुक्ला एवं डा. विश्वलता ¨सह की देखरेख में संपन्न हुआ।
केंद्र के प्राचार्य डा. नरेंद्र ¨सह ने बताया कि खेती से कृषकों की आय में दोगुनी वृद्धि हो इसके लिये सरकारें प्रयासरत हैं दोगुने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये आवश्यक है कि उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग न्यायसंगत तरीके से हो तथा हमारा परिवेश भी दूषित होने से बचा रहे। किसानों की आय बढ़ाने में तालाबों या जल क्षेत्रों का बहुत बड़ा योगदान हो सकता है। प्रति एकड़ तालाब से किसान 1.5 से 2 लाख रूपये तक की आय विभिन्न जल जीवों एवं जल कृषि के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं तथा नये रोजगार के साधन भी उत्पन्न कर सकते हैं।