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लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई मंदाकिनी में डुबकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : जेष्ठ मास अमावस्या में लोगों की आस्था के सामने भीषण गर्मी बौनी पड़ गई। दे

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 07:51 PM (IST)
लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई मंदाकिनी में डुबकी
लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई मंदाकिनी में डुबकी

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : जेष्ठ मास अमावस्या में लोगों की आस्था के सामने भीषण गर्मी बौनी पड़ गई। देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पतित पावनी मंदाकिनी में डुबकी लगाई और तपते पत्थरों में नंगे पांव कामदगिरि की परिक्रमा लगाई। वैसे प्रशासन ने मैट की व्यवस्था की थी लेकिन आसमान से बरस रही आग ने लोगों को आस्था की खूब परीक्षा ली।

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गुरुवार को जेष्ठ मास की अमावस्या थी। जिले में आसमान से प्रतिदिन की तरह आग बरस रही थी लेकिन देश के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं का जोश देखते बन रहा था। भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर वह धर्मनगरी की ओर दौड़ रहे थे। वैसे बुधवार की रात से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला धर्मनगरी में शुरु हो गया था। तमाम लोगों ने रात में ही मंदाकिनी में स्नान कर कामदगिरि की परिक्रमा लगा ली थी लेकिन अधिकांश श्रद्धालु मुहुर्त के अनुसार पूजा अर्चना व दान पुण्य करना चाहते थे इसलिए उन्होंने भोर में रामघाट पहुंच कर अमावस्या तिथि पर मंदाकिनी में डुबकी लगाई और कामदगिरि की परिक्रमा की। भीषण गर्मी में लोग ट्रेनों की छत पर सफर करते देखे गए। वैसे प्रशासन ने सुरक्षा, पेयजल व चिकित्सा आदि के पुख्ता इंतजाम किए थे।

सुहागिनों ने लगाई वट वृक्ष के फेरी

वट अमावस्या पर सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु एवं सभी प्रकार के सुख-समृद्धि की कामना की। व्रत रखकर वट वृक्ष के पास पहुंचकर धूप-दीप नैवेद्य से पूजा किया तथा रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधा। साथ ही हाथ जोड़कर वृक्ष की परिक्रमा लगाई। जिससे पति के जीवन में आने वाली अ²श्य बाधाएं दूर हो सकें तथा सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र प्राप्त हो। पं. चंदन दीक्षित ने बताया कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने व्रत के प्रभाव से अपने मृत पड़े पति सत्यवान को पुन: जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण किया जाता हैं।


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