रामचरित मानस में है गृहस्थ जीवन का सारतत्व
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भगवान राम की तपोभूमि में चल रहे 44वें राष्ट्रीय रामायण मेला के द्वितीय स
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : भगवान राम की तपोभूमि में चल रहे 44वें राष्ट्रीय रामायण मेला के द्वितीय सोपान पर विभिन्न आयोजन हुए। रामचरित मानस पर देश के कोने-कोने से आए विद्वान व मानस मनीषियों ने तार्किक व्याख्यान दिए । वहीं, शाम को लोक नृत्य, लोकगीत, भजन सहित सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से मेला का मंच गुलजार हुआ। मेला प्रांगण में ही शासकीय विभागों सहित निजी कंपनियों की दर्जनों प्रदर्शनियों में भारी भीड़ देखने को मिली । इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक बड़ा झूला, जादू, ब्रेक डांस झूले का लुफ्त उठाने में लोग नहीं चूके। लोगों ने जमकर खरीददारी भी की।
विद्वत गोष्ठी में बांदा के प्राख्यात विद्वान डॉ. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने कहा कि रामचरित मानस में गृहस्थ जीवन का भण्डार भरा पड़ा है । इसमें दाम्पत्य प्रेम, वात्सल्य प्रेम एवं पारिवारिक प्रेम का आदर्श प्रतिपादित किया गया है। आज तेजी से मूल्यों का क्षरण हो रहा है । उनकी रक्षा के लिये तुलसी की मानस को आधार बनाकर ही रक्षा की जा सकती है। हैदराबाद की डॉ. वाणी कुमारी ने प्रवाह कवि विश्वनाथ और उनकी रामायण कल्पवृक्ष की चर्चा करते हुये हिन्दी, तेलगू की समर्ध परम्परा को उद्घाटित किया। विलासपुर (छत्तीसगढ़) के राघवेन्द्र दुबे नें लोकगीतों में रामकथा की चर्चा की। जगद्गुरू रामभद्राचार्य विकलांग विवि चित्रकूट के कुलपति प्रो. योगेश चन्द्र दुबे ने भोजपुरी, लोक साहित्य में पायी जाने वाली राम और सीता की भक्ति का दर्शन कराया। डॉ. आरएस त्रिपाठी तिरूपति ने संस्कृत के वैदिक मंत्रों का पाठ करते हुये रामकथा के तात्विक मूल्यों का विवेचन किया। प्रयाग के डॉ. सभापति मिश्र ने कहा कि भगवान श्रीराम की आदर्श चरित्र के रूप में खोज महर्षि बाल्मीकि के संपूर्ण जीवन की साधना का निचोड़ है। बाल्मीकि ने नारद से चरित्रवान व्यक्ति के बारे में प्रश्न किया था, जिसके उत्तर में नारद जी ने आदर्श चरित्र के गुणों की सूची बाल्मीकि जी को बताई थी। बाल्मीकि जी ने अपने जीवन में राम को उन गुणों पर खरा पाया और अपनी रामायण में प्रतिपादित किया।
बांदा के प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र ¨सह ने गोस्वामी तुलसीदास के काव्य के माध्यम से तुलसी को युग दृष्टा/सृष्टा महाकवि की संज्ञा दी। साहित्य पद्मश्री डॉ. सरोज गुप्ता ने मातृत्व धारक शक्ति के लिये मानस की प्रेरक उक्ति 'पुत्रवती जगती जग सोई, रघुपति भगत जासु सुत होई'' वर्तमान परिप्रेक्ष्य में व्यवहारिक बनाने का संदेश दिया। उन्होंने भारतीय नारी की अद्भुत कहानी बताते हुये कहा कि नारी शक्ति, नारी भक्ति, नारी कल्यानी की कहानी है। बबेरू बॉदा के लक्ष्मी प्रसाद शर्मा ने कहा कि भगवान राम की कथा व रामनाम के द्वारा ही हमारे अन्दर प्रेम सछ्वावना का विकास होता है। डॉ. स्वर्णलता ग्रामोदय विवि चित्रकूट, डॉ. बलराम प्रसाद निर्मलकर विलासपुर ने भी अपने-अपने शोधपरख परिपत्रों का वाचन किया।
डॉ. हरिप्रसाद दुबे अयोध्या ने कहा कि राम का चित्रकूट के प्रति अनन्य प्रेम है वह हमेशा चित्रकूट में माता सीता और अनुज लखन सहित वास करते है। जैसा कि ''चित्रकूट सब दिन बसत प्रभु श्री लखन समेत'' उन्होंने चित्रकूट के कामदगिरि और बृज के गोवर्धन पर्वत के बारे में कहा कि दोनो स्थनों पर भगवान राम की लीला व श्रीकृष्ण की रासलीला नित्यकारित होती हैं। उन्होंने बताया कि राम की जिनपर कृपा होती है वहीं शिखर पर पहुॅचता है । मर्यादा पुरूषोत्तम राम वचन की रक्षा करने में प्राण देने वाले वंश के गौरव हैं। उन्होंने चित्रकूट की तपोभूमि की चर्चा करते हुये कहा कि भगवान राम को पाकर चित्रकूट का कण-कण ख्याति की चरमोत्कर्ष पा जाती है। गोष्ठी की की अध्यक्षता डॉ. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी पूर्व कुलपति महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन ने किया।
भजन व नृत्य में झूमे लोग
राष्ट्रीय रामायण मेला की सांध्यकालीन सांस्कृतिक संध्या में रामाधीन आर्य झॉसी एवं उनके दल द्वारा मनोहारी भजन व लोकगीतों की प्रस्तुतियां दी। ललित ठाकुर भॉटापारा छत्तीसगढ़ ने आनन्दमयी भजनों से लोगों को आत्मविभोर कर दिया। वहीं दिनेश सोनी व पार्टी झॉसी द्वारा राम और कृष्ण काव्यों के आधार पर गीत भजन गाकर सभी को रसविभोर किया। झारखंड रांची से पधारे सृष्टिधर महतो व उनकी टीम द्वारा अदभुत छाऊ नृत्य का मंचन कर दर्शकों की तालियॉ बटोरीं। यह नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहा। वहीं मंजरी प्रिया झांसी ने रामकथा पर आधारित कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया। देर रात तक अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिलभ्य वृन्दावन की रासलीला का मंचन डॉ. देवकी नन्दन शर्मा की टीम ने किया। कार्यक्रमों का संचालन डॉ. करूणा शंकर द्विवेदी ने किया। इस मौके पर मेला कार्यकारी अध्यक्ष राजेश करवरिया, नगर पालिका अध्यक्ष नीलम करवरिया, हरबंश पाण्डेय, डॉ. घनश्याम अवस्थी, युसूफ सिद्दीकी, कलीमुद्दीन वेग, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, प्रद्युम्न दुबे (लालू भईया) भालेन्द्र ¨सह एडवोकेट, शिवमंगल शास्त्री, राम प्रकाश श्रीवास्तव, प्रिन्स करवरिया, सोनू मिश्रा, गोकुल पाण्डेय, भोलाराम आदि मौजूद रहे ।