रामायण मेला में नशामुक्त होने का दिलाया संकल्प
फोटो फाइल नं.- 2,3,4,5,6 जागरण संवाददाता, चित्रकूट : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व प्रय
फोटो फाइल नं.- 2,3,4,5,6
जागरण संवाददाता, चित्रकूट : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व प्रयाग बाघम्बरी पीठाधीश्वर महन्त नरेन्द्र गिरि महाराज ने लोगों को नशा मुक्त होने का संकल्प दिलाकर 44 वें राष्ट्रीय रामायण मेला का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस की चैपाईयों को अगर गृहस्थ लोग उसे अपने जीवन में उतार लें तो किसी भी न्यायालय की आवश्यकता नहीं होगी।
भगवान राम की तपोभूमि में मंगलवार को राष्ट्रीय रामायण मेला का 44 वां पांच दिवसीय समारोह शुरु हुआ। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि पधारे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महराज ने बाल्मीकि रामायण व तुलसीदास के रामचरित मानस की तुलना करते हुये कहा कि रामचरित मानस शिक्षित और अनपढ़ सबके लिये लिखी गयी है जबकि बाल्मीकि रामायण सिर्फ विद्वानों के लिये है। चित्रकूट की धरती से भरत राम की खड़ाऊ लेकर अयोध्या गये थे यहां की धरती प्रेम, भक्ति और तप सिखाती है। उन्होंने कहा कि कन्यादान में यदि बेटी को रामचरित मानस का एक गुटका दिया जाए और वह उसको पढ़कर उसका अनुकरण अपने जीवन में करें तो परिवार में कभी कोई विवाद की स्थिति नहीं पैदा होगी। राजनीति पर धर्म का अंकुश होना आवश्यक बताया। कहा कि राजनीति में धर्मरूपी गुरू आवश्यक है। बताया कि हमेशा किसी के भी प्रति श्रद्धा रखें, अन्याय न करें, सभी को सम्मान दें साधू-संतों का कभी विरोध न करते हुये मर्यादित रहें। संस्कार को कभी विखण्डित न होने दें। सुप्रीम कोर्ट से गंगा-यमुना व राम मंदिर को लेकर हुए फैसले पर भी चर्चा करते हुए कहा कि गंगा प्रदूषित न होने दें, गौ-वध पर प्रतिबंध लगे। महंत गिरि ने उत्तर प्रदेश का सौभाग्य बताते हुये कहा कि इस प्रदेश में बहुत शीघ्र राम राज्य आयेगा। उन्होंने मंच से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संत समाज की ओर से अभिनन्दन किया।
महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि बच्चों के जन्म होते ही श्रीराम के संस्कार रहते हैं। नारद ने बाल्मीकि को इन्हीं संस्कारों के अनुरूप ही रामकथा सुनाई। इस क्षेत्र में बाल्मीकि की कम तुलसी की रामचरित मानस अधिक जानी जाती है। यदि माताओं को रामकथा सुनाई जाये तो उस घर में राम जैसा चरित्रवान पुत्र अवश्य पैदा होगा। किसानों की अधिष्ठाता देवी सीता हैं जबकि भारत देश कृषक प्रधान देश है यदि सीता को महत्व नहीं दिया जायेगा तो किसान सफल नहीं होगा। चित्रकूट की धरती से ही राम राज्य एवं वसुधैव कुटुम्बकम की स्थापना का ¨चतन हुआ था। सिलीगुडी के कवि मोहन दुकुन ने कहा कि राम जैसा नेता, समाज सेवक, पति, पिता, भाई व पुत्र हो। श्री राम के चरित्र से शासन करने की सीख मिलती है। डा. करूणा शंकर द्विवेदी ने रामायण मेले के महत्व का प्रतिपादन किया। बताया कि रामायण मेला रसबोध को प्रचारित करने का एक प्रमुख उदाहरण है। राष्ट्रीय एकता के लिये समाज में रामायण का महत्व सर्वोपरि है।
संत महंतों ने निकाली भव्य शोभा यात्रा
रामायण मेला के उद्घाटन से पूर्व धर्मनगरी के संत महंतों ने भव्य शोभा यात्रा निकाली। विभिन्न मठ मंदिरों के संत-महंत अपने-अपने निशानों हाथी, घोडे़, बैण्ड बाजों एवं कलावाजों के साथ रामायण मेला प्रेक्षागृह पहुंचे। जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला के छात्रों ने वैदिक मंत्रों से अतिथि का स्वागत किया। मेले के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश करवरिया ने शोभा यात्रा में शामिल महंत ओंकारदास, सीताशरण दास, दिव्यजीवनदास, रामहृदयदास, मदनगोपालदास, हनुमानदास, रामनरेशदास, रामलखनदास, रामदुलारेदास,नागा महराज, रमेश भारती आदि संतों-महंतों को श्रीफल व शाल सौंपकर सम्मानित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डा. चन्द्रिका प्रसाद दीक्षित 'ललित' ने किया। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष नीलम करवरिया, नगर पंचायत अध्यक्ष नयागांव प्राची चतुर्वेदी, प्रकाश मिश्रा, हेमराज चतुर्वेदी, पूर्व मंत्री जमुना प्रसाद बोस, हरिवंश पाण्डेय, डा. सभापति मिश्र, डा. सीताराम ¨सह, सुशील द्विवेदी, भालेन्द्र ¨सह एड., प्रद्युम्न दुबे, रामप्रकाश श्रीवास्तव, प्रिन्स करवरिया व सोनू मिश्रा आदि मौजूद रहे।