Move to Jagran APP

जनपद में आदिवासियों की स्थिति सबसे खराब

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बाल आवाज बन कर इन दिनों 'दखल सांस्कृतिक मंच' आगे आया है। बाल मुद्दों को

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 08:08 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 08:08 PM (IST)
जनपद में आदिवासियों की स्थिति सबसे खराब
जनपद में आदिवासियों की स्थिति सबसे खराब

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : बाल आवाज बन कर इन दिनों 'दखल सांस्कृतिक मंच' आगे आया है। बाल मुद्दों को लेकर यह मंच लोगों को जागरुक कर रहा है। इसके लिए लगातार तीन दिन से पुरानी कोतवाली के बाहर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

loksabha election banner

समाजसेवी अभिमन्यु भाई की अगुवाई में हो रहे इस कार्यक्रम में लोगों ने कहा कि जनपद में बाल मुद्दों की स्थिति यह है कि अनाथ बच्चे, बाल श्रमिक एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित तमाम बच्चें हैं। बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार की पैरवी ग्राम, ब्लाक एवं जिला बाल संरक्षण समितियों की ओर से नहीें की जा रही है। जनपद में सबसे खराब स्थिति आदिवासियों की है। गरीबी व अशिक्षा का परिणाम है कि वहा आज भी भयभीत अवस्था में लोग रहते हैं। परिवारों में गरीबी का मुख्य कारण गाव में रोजगार का न होना तथा लगातार सूखा पड़ना है। चित्रकूट ब्लाक की ग्राम पंचायत अकबरपुर के नई दुनिया आदिवासी बस्ती में रहने वाले आदिवासियों के पास पहाड़ तोड़ने के अलावा आजीविका का कोई विकल्प नही है।

आज भी किशोर और किशोरिया पढ़ाई छोड़कर मजदूरी करने पहाड़ पर जाते हैं। बीमारी एवं अन्य कारणों से कई बच्चों के माता पिता टीबी जैसी बीमारी एवं अन्य कारणों से बच्चों के माता पिता असमय खत्म हो गये जिसके कारण करीब 12 बच्चे अनाथ हैं यह बच्चें मजदूरी कर अपने छोटे भाई-बहनों का पोषण कर रहे हैं। चाइल्ड लाइन के पैरवी के अनुसार बाल कल्याण समिति में 40 केस भेजे गये जिसमें बाल कल्याण समिति ने 17 केसों पर निर्णय दिया किन्तु जिला बाल संरक्षण समिति के सदस्य विभागों जैसे पुलिस, शिक्षा, चिकित्सा व समाजकल्याण आदि में निर्णय का पालन नही किया जा रहा है। जिसके कारण बच्चों की समस्याओं का समाधान नही हो पा रहा है। 2015 से लेकर 2016 तक जनपद में 5 बच्चें गुमशुदा हुए थे जिनकी वापसी आज तक नही हुई। इस विषय में बच्चों की खोज के मुद्दों पर पुलिस की पैरवी कहीं कमजोर दिखती है।

इस मौके पर अकबरपुर भरतकूप से आई श्यामा देवी, छोटी, पुनिया, बेलादेवी, श्यामाबाई व रानी आदि ने बच्चों की समस्याओं को बहुत ही मार्मिक ढंग रखा। उन्होंने कहा कि हम वोट देते हैं किन्तु हम लोग नहीं जानते हैं कि आजादी किसे कहते हैं आज तक हम लोगों को रहने के लिए मकान नही दिये गये हम लोग किसी तरह जीवन चला रहे हैं। हम लोगों ने जब अनशन किये लड़ाई लड़े तब हमें पुलिस ने राहत दी अभी भी हमारे 8 बच्चे निर्दोष जेल में बन्द हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.