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धन के अभाव में नहीं हो सकेगा हैंडपंपों का रीबोर

जागरण संवाददाता, चंदौली: प्रचंड गर्मी में पानी के अभाव में जहां ग्रामीणों का हलक सूख रहा है, वहीं

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 08:41 PM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 08:41 PM (IST)
धन के अभाव में नहीं हो सकेगा हैंडपंपों का  रीबोर
धन के अभाव में नहीं हो सकेगा हैंडपंपों का रीबोर

जागरण संवाददाता, चंदौली: प्रचंड गर्मी में पानी के अभाव में जहां ग्रामीणों का हलक सूख रहा है, वहीं शासन के नए फरमान ने ग्राम प्रधानों को मुसीबत में डाल दिया है। ग्रामीणों द्वारा पेयजल की मांग के बावजूद धन के अभाव में हैंडपंपों के रीबोर की कार्रवाई अधर में लटक गई है। आने वाले दिनों में भी यही हाल बना रहा तो पेयजल के लिए हाहाकार मचना तय है।

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प्रतिवर्ष मई व जून के महीने में जिले के पहाड़ी इलाके नौगढ़, वनगांवा, शिकारगंज आदि क्षेत्रों में जलस्तर नीचे चले जाने से पेयजल की घोर किल्लत उत्पन्न हो जाती है। हैंडपंप तो जबाब दे ही जाते हैं, कुंओं का पानी भी पीने योग्य नहीं रह जाता। ऐसे में ग्रामीणों को चुआंड़ के पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। वैसे प्रत्येक वर्ष पेयजल के लिए जिला प्रशासन द्वारा योजना बनाई जाती है। पर योजना तब बनती है जब पानी सिर के ऊपर चला जाता है। चालू सीजन में भी वही हो रहा है। अब तक ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा सकी है। हां यह जरूर है कि जिलाधिकारी हेमंत कुमार ने पूर्व के वर्षों में बनाई गई वैकल्पिक व्यवस्था को जरूर लागू कर दिया है। मसलन ग्राम प्रधानों को ग्राम पंचायत निधि से टैंकर खरीदने का अधिकार प्रदान कर ग्रामीणों की दुखती रग पर हाथ फेरने का प्रयास किया गया है। पर विडंबना है कि टैंकर खरीदने के नाम पर कोरम पूर्ति से ही काम चलाया जा रहा है। वहीं यह व्यवस्था केवल नौगढ़ क्षेत्र के चु¨नदा गांवों के लिए ही की गई है। जबकि समान भौगोलिक स्थिति वाले वनगांवा व शिकारगंज क्षेत्र के ग्रामीण पेयजल को तरस रहे हैं।

कैसे होगा हैंडपंपों का रीबोर

शासन ने नियमों में संशोधन कर ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों के रीबोर का अधिकार अब ग्राम प्रधानों को सौंप दिया है। इसके तहत राज्य वित्त व चौदहवें वित्त के धन से प्रधान हैंडपंपों का रीबोर करा सकते हैं। ..लेकिन विडंबना है कि जब ग्राम पंचायतों के पास धन ही नहीं होगा तो वे रीबोर कहां से कराएंगे। खासकर नई ग्राम पंचायतों की स्थिति बद से बदतर है। एक हजार की आबादी पर बनी इन नई ग्राम पंचायतों में किश्त के रूप में साठ से अस्सी हजार रुपए भेजे गए हैं। ऐसे में इन ग्रामों के प्रधान हैंडपंप का रीबोर कराएं या ग्रामीणों की मांग पर पुलिया व चकरोड बनाएं। वैसे देखा जाय तो इतने कम धन से ग्राम पंचायतों में कोई कार्य करा पाना संभव ही नहीं है।

एक हजार हैंडपंप खराब

जल निगम के आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल माह में ही जिले के नौ विकास खंडों में लगभग एक हजार हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है। इसमें 435 हैंडपंप रीबोर व 565 हैंडपंप पूरी तरह खराब हो गए हैं।

गंदा पानी पी रहे ग्रामीण

शहाबगंज विकास क्षेत्र के मुबारकपुर गांव में दलित बस्ती के ग्रामीण हैंडपंप की व्यवस्था नहीं होने से कुएं का

गंदा पानी पीने को विवश हैं। मजे की बात यह है कि हैंडपंप की स्थापना के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार तहसील दिवस पर जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दिया गया। पर जल निगम द्वारा बजट नहीं होने की रिपोर्ट लगाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली गई।

क्या कहते हैं अधिकारी

मुख्य विकास अधिकारी श्रीकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि जिन ग्राम पंचायतों में ऐसी स्थिति है, वहां जल निगम से हैंडपंप लगवाने की व्यवस्था कराने का प्रयास किया जाएगा।


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