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भक्ति मार्ग पर चलकर ही भगवान को कर सकते हैं प्रसन्न

मुगलसराय (चंदौली) : भक्ति स्वतंत्र है, इसे कोई भी कर सकता है। भक्ति मार्ग पर चलकर ही भगवान को प्रसन्

By Edited By: Published: Sun, 26 Jun 2016 09:45 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jun 2016 09:45 PM (IST)
भक्ति मार्ग पर चलकर ही भगवान को कर सकते हैं प्रसन्न

मुगलसराय (चंदौली) : भक्ति स्वतंत्र है, इसे कोई भी कर सकता है। भक्ति मार्ग पर चलकर ही भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है। सभी मानव एक समान हैं, इसलिए सभी को दिव्य प्रकाश की अनुभूति करने व प्रभु के सच्चे नाम को जानने का समान अधिकार है।

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उक्त उद्गार मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से रविवार को सुभाष पार्क में आयोजित सत्संग में मानव धर्म के प्रणेता सद्गुरुदेव श्री सतपाल जी महाराज के शिष्य महात्मा सहयोगानंद ने कही। कहा कि बिना भाव के भक्ति नहीं हो सकती है। परमपिता परमेश्वर को जानने के लिए भक्त के अंदर भाव का होना अत्यंत आवश्यक है। इन दिनों मनुष्य भक्ति मार्ग से भटककर व्यसनों की ओर उन्मुख हो रहा है। नशीले पदार्थों के सेवन से अपने शरीर को खोखला करता जा रहा है। इससे मानव जीवन का कल्याण नहीं हो सकता। मानव जीवन तभी सार्थक होगा जब वह ध्यान, भजन व सुमिरन करेगा। कहा कि मानव जीवन में सत्संग का बड़ा महत्व है। सत्संग से मानव विकारों को दूर किया जा सकता है।

इस मौके पर वीरेंद्र ¨सह, एसपी यादव, विजयी सेठ, राधेश्याम पाल, नारायण, प्रकाश, रामभरत, श्याम आश्रम पांडेय, सरोज, सुशीला, हीरावती, यशोदा, संगीता, डा. विवेक आदि उपस्थित थे।


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