ईश्वर सर्वव्यापक होकर भी है निराकार
मुगलसराय(चंदौली): ईश्वर सर्वव्यापक होकर भी निराकार है, उसका कोई भी आकर नहीं है। उस परमात्मा का न तो
मुगलसराय(चंदौली): ईश्वर सर्वव्यापक होकर भी निराकार है, उसका कोई भी आकर नहीं है। उस परमात्मा का न तो कोई रूप है और न ही रंग। उसे जानने के लिए किसी साकार रूप का सहारा लेना पड़ता है।
उक्त उद्गार मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से सुभाष पार्क में रविवार की सुबह आयोजित सत्संग में सतपालजी महाराज के शिष्य सहयोगानंदजी ने कहीं। कहा परमात्मा को जानने, देखने के लिए अंत:चक्षुओं की आवश्यकता है, जो किसी तत्व वेदा महापुरुष की शरण में जाने से ही परमात्मा तक पहुंच सकते हैं। सत्संग धारण करने से मानव जीवन धन्य हो जाता है लेकिन इसके लिए मनुष्य के मन में पवित्र विचारों का होना जरुरी है। कहा अच्छे विचारों की प्राप्ति के लिए हमें सत्संग में प्रतिदिन शामिल होना चाहिए। सत्संग से मन ईश्वर की याद में स्थिर होता है, साथ ही उसे सच्ची सुख शांति भी मिलती है। सत्संग से साधारण मानव भी देव तुल्य बन सकता है। इसके पूर्व वीरेंद्र प्रताप ¨सह ने स्वामी सहयोगानंद का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस मौके पर नरायन, श्यामली प्रसाद, राम भरोस, संजय पाल, संगीता, देवी नारायण, सुखराज, राकेश आदि उपस्थित थे।