समय से डालें नर्सरी तो उत्पादन मिलेगा भरपूर
चंदौली : किसान यदि मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाल पाए हैं, तो जून के प्रथम पखवारे में
चंदौली : किसान यदि मई के अंतिम सप्ताह में धान की नर्सरी नहीं डाल पाए हैं, तो जून के प्रथम पखवारे में नर्सरी का कार्य पूर्ण कर लें। वहीं सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी जून के तीसरे सप्ताह में डालें तो अच्छा उत्पादन मिलेगा। कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र राम ने कहा आमतौर पर देखा जाता है कि किसान नर्सरी डालने में विलंब करते हैं। इससे उत्पादन पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। यदि समय से नर्सरी व रोपाई का कार्य किया जाय तो निश्चित रूप से उत्पादन अच्छा होगा।
इन प्रजातियों की डालें नर्सरी
किसानों को यदि मध्यम व देर से पकने वाली धान की नर्सरी डालनी है, तो इसके लिए सवर्णा, पंत 10, सरजू 52, नरेंद्र 359 प्रजाति उत्तम है। वहीं सुगंधित प्रजाति में पूसा बासमती वन, नरेंद्र संकर धान टू प्रमुख संकर प्रजाति हैं। यदि धान व गेहूं की फसल के मध्य शकरकंद या आलू की फसल लेना हो तो धान की शीघ्र पकने वाली किस्में जैसे नरेंद्र 97, रत्ना या गो¨वद धान लगाएं।
कैसे डाले नर्सरी
एक हेक्टेअर क्षेत्रफल में रोपाई करने के लिए 800-1000 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र की आवश्यकता होती है। धान की महीन किस्मों के लिए प्रति हेक्टेअर बीज दर 30 किलोग्राम, मध्यम के लिए 35 किग्रा, मोटे धान के लिए 40 व उसर भूमि के लिए 60 किलोग्राम पर्याप्त होता है। जबकि संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेअर 20 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौध तैयार करने के लिए 1.25 मीटर चौड़ी व 8 मीटर लंबी क्यारियां बनानी चाहिए। प्रति क्यारी दो सौ ग्राम यूरिया व पांच सौ ग्राम ¨सगल सुपर फास्फेट तथा पचास ग्राम ¨जक सल्फेट डालना चाहिए।
अंकुरित बीजों की करें रोपाई
किसानों को क्यारियों में अंकुरित हो रहे बीजों की ही रोपाई करनी चाहिए। यदि नर्सरी में खैरा रोग दिखाई दे तो दस वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 20 ग्राम यूरिया, पांच ग्राम ¨जक सल्फेट प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।