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सड़क किनारे हजारों हरे पेड़ों की कर दी हत्या

चंदौली। नौगढ़-चकिया मार्ग पर काटे गये पेड़ों की खुथ्थी चकिया (चंदौली): पौधरोपण पर प्रतिवर्ष लाखों रूप

By Edited By: Published: Tue, 01 Sep 2015 09:34 PM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2015 09:34 PM (IST)
सड़क किनारे हजारों हरे पेड़ों की कर दी हत्या

चंदौली। नौगढ़-चकिया मार्ग पर काटे गये पेड़ों की खुथ्थी चकिया (चंदौली): पौधरोपण पर प्रतिवर्ष लाखों रूपये पानी की तरह बहा दिये जाते हैं। सड़क किनारे लगे पौध बड़े होकर पेड़ का रूप धारण करते हैं तो एनकेन प्रकारेण इनकी हत्या कर दी जाती है। तहसील क्षेत्र के विभिन्न सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर तकरीबन 5 हजार हरे भरे पेड़ों की हत्या कर दी गई। इसमें फलदार, छायादार सहित कीमती पेड़ों की संख्या बहुतायत मात्रा में रही। तहसील क्षेत्र के चकिया-चंदौली, इलिया-अहरौरा सड़क मार्ग का चौड़ीकरण हुआ। तकरीबन 1 हजार हरे पेड़ की कटान कर दी गई। फिलहाल चकिया-नौगढ़ मार्ग सहित कंचनपुर मार्ग का चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। सड़क किनारे पटरियों पर झाड़ी सफाई के नाम पर हजारों पेड़ कट जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि अभी तक जिलेबिया मोड़ से औरवाटाड़ के बीच तकरीबन 20 किमी मार्ग के किनारे पेड़ों की कटान नहीं हो पाई है। लेकिन सड़क का निर्माण जिस गति से चल रहा है उससे साफ होता है कि अगले कुछ महीने में यह पेड़ भी कटान की जद में आ जायेंगे। सड़क चौड़ीकरण के नाम पर खुलेआम हरे पेड़ों की कटान के प्रति आम जनमानस में पेड़ों की हत्या कर दिये जाने की आवाज उठती रही। लेकिन फलदार आम सहित कीमती शीशम, सागौन के पेड़ बेहिचक काटकर करोड़ों रूपये गोलमाल कर दिये गये। अहम यह रहा कि सड़क निर्माण से लगायत बिजली पोल लगाने जैसे कार्यो में वन विभाग का अडंगा लग जाता है। लेकिन सड़क किनारे पेड़ों की निर्मम हत्या खुलेआम होती रही और राजपथ रेंज देखता रह गया। आरोप रहा कि राजपथ रेंज अधिकारी ने अच्छी खासी रकम लेकर मौन स्वीकृति दे रखी थी। अवैध कटान का यह धन उच्चाधिकारियों से लेकर शासन स्तर तक पहुंची। खैर जो भी हो लोगों का कहना है कि पौधरोपण पर शासन व प्रशासन जोर देते हुए प्रतिवर्ष लाखों रूपये पानी की तरह बहा दिया जा रहा है। लेकिन पौधों के विकसित होते ही उनकी कटान सड़क चौड़ीकरण के नाम पर कर देना मुनासिब नहीं है।

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क्या कहते हैं अधिकारी

राजपथ रेंज अधिकारी नंदलाल कुशवाहा कहते हैं कि सड़क निर्माण में लगी कार्यदायी संस्थाओं ने पेड़ कटान की स्वीकृति ले रखी थी। यह स्वीकृति प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा दी गई थी। ऐसी स्थिति में वह कर भी क्या सकता हैं।


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