रक्षक ही भक्षक की भूमिका में आए
चकिया (चंदौली) : रक्षक ही भक्षक की भूमिका में आ गए हैं। आम जन सहित वन की सुरक्षा में लगे केंद्रीय रि
चकिया (चंदौली) : रक्षक ही भक्षक की भूमिका में आ गए हैं। आम जन सहित वन की सुरक्षा में लगे केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के कारनामे से समूचा महकमा शर्मसार हो गया। काशी वन्य जीव प्रभाग की बेशकीमती सागौन की लकड़ी सीआरपीएफ के वाहन में पकड़े जाने के बाद विभाग के उच्चाधिकारी से लगायत वन विभाग के अधिकारी भी मीडिया से बचने की जुगत में लगे रहे।
वन विभाग द्वारा सीआरपीएफ के ट्रक पर पकड़ी गई सागौन की लकड़ी के मामले में एक मात्र अमरजीत नामक कांस्टेबल को नामजद किया है। जबकि ट्रक पर आधा दर्जन से अधिक जवान सवार थे। सवाल यह है कि आखिरकार सीआरपीएफ के वाहन पर सागौन की लकड़ी किसने रखी। नामजद कांस्टेबल शुरू से अंत तक अपने उच्चाधिकारियों व वन विभाग के अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाता रहा कि लकड़ी उसने नहीं रखी।
वहीं कुछ सीआरपीएफ के कांस्टेबल ने नाम न छापने की शर्त पर बेबाकी से कहा कि नौगढ़ के एक व्यक्ति द्वारा छह सौ रुपये में बिक्री की गई लकड़ी को खरीदा गया था। हम सभी को इस लकड़ी की कीमत के साथ ही प्रतिबंधित होने की जानकारी नहीं थी। मामूली जलावनी लकड़ी समझकर खरीद लिया गया था। लेकिन वाहन पर लकड़ी किसने रखी यह जानकारी किसी को नहीं है। बहरहाल जो भी हो सीआरपीएफ वाहन पर लदी सागौन की लकड़ी किसने, किस प्रकार रखी यह उच्च स्तरीय जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा।
निष्पक्ष जांच हुआ तो इस पूरे प्रकरण में कई अधिकारी भी बेनकाब हो सकते हैं।
वहीं मौके पर मौजूद लोग कहने से बाज नहीं आये कि रक्षक ही भक्षक की भूमिका में आ गये हैं। डिप्टी कमांडेट चंद्रप्रभा व नौगढ़ कैंप के डिप्टी कमांडेट समेत नौगढ़ वन क्षेत्राधिकारी एसएस सिद्धकी चकिया रेंज कार्यालय पर जमे रहे। वन क्षेत्राधिकारी चकिया नंदलाल ¨सह कुशवाहा उच्चाधिकारियों के निर्देश पर अगली कार्रवाई किए जाने को कहते हुए मीडिया से बचते रहे।