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बेशकीमती लकड़ी पर सुरक्षा बलों की टेढ़ी नजर

चकिया (चंदौली) : जंगल से बेशकीमती इमारती वृक्षों व हरे पेड़ों की अवैध कटाई का सिलसिला दशकों पुराना है

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 11:13 PM (IST)
बेशकीमती लकड़ी पर सुरक्षा बलों की टेढ़ी नजर

चकिया (चंदौली) : जंगल से बेशकीमती इमारती वृक्षों व हरे पेड़ों की अवैध कटाई का सिलसिला दशकों पुराना है। जंगल की जमीन पर कब्जे को लेकर पहाड़ी क्षेत्रों में वर्चस्व की लड़ाई जग जाहिर है। यहां वृक्षों को काटकर समतल भूमि बनाकर उसपर खेती बाड़ी करना यहां के वा¨शदों के फितरत में रही है।

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इन्हीं जंगल के जमीन पर कब्जा व खेती को लेकर मेहनतकश गरीबों व दबंगों के बीच संघर्ष चलता रहा है। इसी को लेकर स्थानीय स्तर पर 90 के दशक में नक्सलवाद का अंकुरण हुआ। जो कुछ ही वर्षों में खूनी रूप ले लिया। वर्ष 1997-98 में हेमनाथ चौबे नामक बड़े किसान की हत्या से प्रारंभ हुआ नक्सली आंदोलन एक दशक के अंदर खून खराबा वाला हो गया। नक्सली वारदातों में दर्जनों निर्दोष नागरिकों की हत्या के बाद उग्र पंथियों के हौसले इस कदर बढ़े कि वर्ष 2004 में मझगाई रेंज कार्यालय पर हमला के दो दिन के बाद ही 20 नंबर को नक्सलियों ने चंद्रप्रभा के हिनौत घाट पर बम ब्लास्ट कर पीएससी के ट्रक को चिथड़े-चिथड़े कर दिया।

इसमें 17 पीएसी व पुलिस के जवान शहीद हो गए। इससे तत्कालीन प्रदेश शासन की चूले हिल गई। नक्सली गतिविधियों पर कारगर नियंत्रण के लिए शासन द्वारा नौगढ़ के तीन स्थानों पर सीआरपीएफ के कैंप की स्थापना करते हुए टुकड़ी तैनात किया गया। इसमें नौगढ़ भेड़ाफार्म, चकचोईयां व चंद्रप्रभा है। इसी तरह पीएसी कंपनी की संख्या में भी इजाफा करते हुए आधा दर्जन स्थानों हरियाबांध, चंद्रप्रभा, औरवाटाड़, मझगांवा, चकरघट्टा व शिकारगंज में तैनात की गई।

सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद नक्सली वारदातों पर भरपूर नियंत्रण लग गया। लेकिन वन के दोहन का दौर खत्म नहीं हुआ। शुरुआती वर्षों में सीआरपीएफ, पीएसी व पुलिस के जवान जंगल से लकड़ियां इकठ्ठा कर भोजन बनाने व जाड़े के दिनों में आग तापने के काम में लाते रहे। धीरे-धीरे यहां तैनात अधिकारी इमारती लकड़ी को अपने उपयोग में लेने लगे। नतीजा यह हुआ कि इनकी देखा देखी जवानों ने भी वृक्षों पर हाथ साफ करना शुरू कर दिया।

गत वर्ष जयमोहनी रेंज के एक जंगल में रात के समय पेड़ को काटे जाने को लेकर वन कर्मियों व सुरक्षा बल के जवानों के बीच विवाद हुआ था। हालांकि यह मामला ज्यादा तूल नहीं पकड़ सका। रोचक तथ्य यह है कि तस्कर व वन माफिया अभी तक जंगल की भूमि सहित पेड़ों को निशाना बनाते रहे। लेकिन इसमें सुरक्षा बलों का नाम समय-समय पर जुड़ जाने से पर्यावरण व हरियाली पर गंभीर खतरा बन गया है।

हालांकि ताजा मामले में वन विभाग की टीम ने साहस व कर्तव्य परायणता का परिचय देते हुए सीआरपीएफ ट्रक को पकड़ लिया।


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