लक्ष्य से पीछे चल रहा मृदा परीक्षण अभियान
चंदौली : 'धान के कटोरे' में कृषि भूमि की नष्ट हो रही उर्वरा शक्ति को बढ़ाने व किसानों को रासायनिक उर
चंदौली : 'धान के कटोरे' में कृषि भूमि की नष्ट हो रही उर्वरा शक्ति को बढ़ाने व किसानों को रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मुक्ति दिलाने के लिए कृषि विभाग की ओर से चलाया जा रहा मृदा परीक्षण अभियान अपने निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रहा है। आने वाले दिनों में भी यही हाल रहा तो अभियान की सफलता पर प्रश्न चिंह लगना तय है। वैसे विभाग का दावा है कि धान की फसल कटते ही इसमें तेजी आ जाएगी।
कृषि विभाग की ओर से रबी के सीजन में मृदा परीक्षण के लिए 23 हजार 616 नमूने लिए जाने का लक्ष्य निर्धारित है। चालू सीजन में तीन चरणों में पूरा होने वाले अभियान की शुरुआत एक नवंबर से की गई है। अब तक दो चरण की समाप्ति पर विभाग को मात्र दो हजार 931 नमूने ही प्राप्त हो पाएं हैं। अभियान का अंतिम चरण 29 नवंबर को है। ऐसे में मृदा परीक्षण अभियान अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर पाएगा यह कहना मुश्किल है।
नहीं कटी है 70 फीसद फसल
'धान के कटोरे' में प्रकृति के बिगड़े मिजाज के चलते धान की खेती पिछड़ गई है। समय से खेती नहीं हो पाने के कारण अभी भी जनपद में 70 फीसद धान की फसल नहीं कट पाई है।
बढ़ाया जाएगा अभियान का चरण
जिला कृषि अधिकारी कमलजीत सिंह ने बताया कि खरीफ के बाद रबी की खेती को बढ़ावा देने व किसानों को कम लागत में अधिक लाभ पहुंचाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। ताकि किसान भूमि की जांच कराकर यह सुनिश्चित कर सकें कि उनकी भूमि में उर्वरा शक्ति की स्थिति क्या है और भूमि में पाए जाने वाले जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं या नहीं। लक्ष्य पूरा होने के सवाल पर कहा कि धान की खेती पिछड़ जाने से कटाई में देरी होने से अभी खेत खाली नहीं हो पाए हैं। इससे अधिक मात्रा में नमूने प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। कहा कि लक्ष्य पूरा करने के लिए एक चरण और बढ़ाया जाएगा।
केंद्र पर दे सकते हैं नमूने
कृषि प्रधान जनपद के किसान अपने खेतों के मृदा स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अपनी मिट्टी की जांच विभाग द्वारा निर्धारित केंद्रों पर भी करा सकते हैं।