बेबसी का नाम विकलांग पप्पू वनवासी
चकिया (चंदौली): विकलांग, लाचार, असहाय व्यक्तियों को आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाने जैसी महत्वाकांक्षी योजना को पंख नहीं लग पा रहे हैं। फिलहाल इसकी नजीर वनभीषमपुर गांव निवासी पप्पू वनवासी है। दोनों पैर से विकलांग होने के बावजूद आज तक उसे वैशाखी भी उपलब्ध नहीं हो पायी। गरीबी, लाचारी व बेबसी के चलते अब वह भिक्षाटन करने को मजबूर हो गया है।
वन भीषमपुर गांव निवासी मल्लू मुसहर के 6 संतानों में 18 वर्षीय पप्पू मझला है। वह जन्म से ही दोनों पैर से विकलांग है। शिक्षा से कोसो दूर युवक का परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज है। आज तक इस परिवार को राशन कार्ड, जाब कार्ड तक नहीं बन पाये हैं। अहम यह कि पप्पू दोनो पैर से विकलांग होने के बाद भी उसे वैशाखी देने में प्रशासन सहित विकलांगों का मसीहा बनने वाले स्वयंसेवी संस्था के लोग अक्षम साबित हुए हैं। पप्पू ने बताया कि विकलांग प्रमाण पत्र के लिए कई बार वोट मांगने वालों से कहा गया। सभी ने आश्वासन देकर वोट तो ले लिया। ..लेकिन प्रमाण पत्र दिलाये जाने की बारी आयी तो कन्नी काटने लगे।
पप्पू ने बताया कि जानकारी के अभाव में विकलांग प्रमाण पत्र सहित पेंशन नहीं बन पा रहा है। मां चंद्रवती व पिता की तबीयत खराब रहने के चलते वह इन दिनों भिक्षाटन करने पर मजबूर हो गया है। दिन भर के भिक्षाटन के बाद मिले अनाज व पैसे से एक वक्त भोजन नसीब हो जा रहा है। बहरहाल पप्पू मुसहर शासन-प्रशासन सहित स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा विकलांगों के प्रति सहानुभूति जताने वाले दावें की पोल खोलता नजर आ रहा है। पप्पू के हालात को बयां करते हुए एसडीएम बीके गुप्ता ने कहा कि ऐसे असहाय लोगों को सरकारी योजनाओं से लाभान्वित करना के लिए वह अपने स्तर से प्रयास करेंगे।