ई-मेल से भी महिलाएं कर सकती हैं एफआइआर
मुगलसराय (चंदौली): महिलाओं को एफआइआर दर्ज कराने के लिए अब थाने जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। नए कानून के तहत वे रजिस्टर्ड डाक अथवा ई- मेल से भी अपनी शिकायत प्रेषित कर सकती हैं। पुलिस उनकी शिकायत को गंभीरता से लेगी और मुकदमा दर्ज कर उन्हें सूचित किया जाएगा। बिना वजह उन्हें थाने नहीं बुलाया जाएगा और सूरज ढलने के बाद किसी भी महिला की गिरफ्तारी नहीं होगी।
उक्त बातें राधा कृष्ण इंटर कालेज अलीनगर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा शनिवार को आयोजित बच्चों के अधिकार व प्राक्सो अधिनियम से संबंधित संगोष्ठी में जनपद सत्र न्यायाधीश डा. एनके बहल ने कहीं। उन्होंने कहा कि संविधान में स्त्री और पुरुषों में कोई भेद नहीं किया गया है। सभी को सामान अधिकार दिए गए हैं। महिलाओं व बच्चों को अगर अधिकार प्राप्त करना है तो अधिकार को जानना जरुरी है और अधिकार को जानने के लिए सबसे जरुरी है शिक्षा। आज अगर लगन से शिक्षा ग्रहण कर लिया जाए तो भविष्य सुरक्षित हो जाएगा। इसके लिए यह समझना होगा कि किसी भी विषय में पुस्तक के दूसरे पृष्ठ को पढ़ने का अधिकार तब तक नहीं है जब तक कि प्रथम पृष्ठ पूरी तरह से समझ में न आए जाए। कहा कि पहले महिलाओं को संयुक्त परिवार का अंग नहीं माना जाता था, पर अब संपत्ति में पुरुष की तरह उनका भी बराबर अधिकार होता है। महिलाओं के लिए नौकरी, राजनीति हर जगह आरक्षण है। न्यायिक क्षेत्र में तो 20 प्रतिशत अतिरिक्त आरक्षण महिलाओं के लिए है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संजय के लाल ने प्राक्सो अधिनियम के बारे में बताया कि बच्चों के समुचित विकास के लिए यह कानून 18 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों को लैंगिक हमले, लैगिंक उत्पीड़न और अश्लील साहित्य से संरक्षण प्रदान करता है। लैगिंक दुर्व्यवहार व हमलों के लिए तीन वर्ष से 7 वर्ष के तक के कारावास की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मुरलीधर सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, संजीव श्रीवास्तव, महेंद्र सिंह पटेल, डा. अनिल यादव ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत स्मृति चिह्न व अंग वस्त्रम् प्रदान कर विद्यालय के प्रधानाचार्य बैजनाथ यादव ने किया।
इस मौके पर सेचन यादव, परमानंद, धनंजय सिंह, इंद्रजीत शर्मा, चंद्रजीत चौहान, विनोद प्रकाश सहित अन्य लोग उपस्थित थे। संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता दरोगा सिंह ने किया।