इनके मत तय करेंगे हार-जीत
सकलडीहा (चंदौली) : आगामी 12 मई को कुल 14 लाख 97 हजार मतदाताओं लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के भाग्य काफैसला करेंगे। इनमें एक लाख पांच हजार मुस्लिम मतदाता शामिल है जो कुल मतों का लगभग सात फीसद है।
हालांकि सभी दल इन मतों को हासिल करने के लिए एड़ी चोटी लगा देते हैं। आखिर क्यों ऐसा क्या ना हो। वास्तव में मुसलमानों के मतों की इतनी भारी भरकम संख्या हार जीत के समीकरण को आसानी से प्रभावित जो करती है परंतु टिकट वितरण के दौरान राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल इन पर भरोसा नहीं जता पाते। आजादी के बाद भी अब तक के जिले में हुए लोकसभा चुनावों में किसी भी दल ने कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा। इस चुनाव में महज आम आदमी पार्टी ने इर्शादुद्दीन को टिकट देकर मुस्लिम मतों के धु्रवीकरण का प्रयास किया है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में एक लाख पांच हजार मुस्लिम मतदाता हार-जीत के समीकरण को बनाने बिगाड़ने का काम करेंगे। इन मतों को हासिल करने के लिए सभी दल होड़ में लगे रहते हैं। इसके पूर्व इन मतों पर कांग्रेस व समाजवादी पार्टी अपना अपना हक जताती रही है। जबकि हिन्दूवादी छवि होने के कारण भाजपा से मुस्लिम मतदाताओं ने हमेशा से दूरी बना रखी है। इसके अतिरिक्त मुसलमानों ने बहुजन समाज पार्टी व अन्य छोटे क्षेत्रीय दलों की ओर कभी कोई रुझान नहीं दिखाया। वैसे कांग्रेस व सपा इन मतों को पाने के लिए तमाम हथकंडे अपनाने में लगी है।
देखा जाए तो कौमी एकता दल समर्थित भासपा प्रत्याशी समेत आम आदमी पार्टी भी इन मतों पर अपनी दृष्टि गड़ाए बैठे है। अब इनमें कौन कितना कामयाब होगा यह भविष्य के गर्भ में है। वहीं मुस्लिम मतदाता भी अभी अपना पत्ता नहीं खोल रहे है। उन्हें यह बात हमेशा सालती है कि उनके मतों के बूते पर संसद तक पहुंचने का उनका रहनुमा बनने का दावा करने वाले राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों ने कभी किसी मुस्लिम प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताया।