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नियमों का उल्लघंन और ओवरटेक बन रहा हादसों का सबब

बुलंदशहर : अगर सड़क सरपट मिल जाए तो रफ्तार जायज है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। सीमाहीन गति हादसों की

By Edited By: Published: Mon, 05 Dec 2016 09:16 PM (IST)Updated: Mon, 05 Dec 2016 09:16 PM (IST)
नियमों का उल्लघंन और ओवरटेक बन रहा हादसों का सबब

बुलंदशहर : अगर सड़क सरपट मिल जाए तो रफ्तार जायज है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। सीमाहीन गति हादसों की अहम वजह है, क्योंकि ऐसी स्थिति में ड्राइवर वाहन पर अपना संतुलन खो देता है। कई बार इसकी वजह गंतव्य तक पहुंचने की जल्दबाजी होती है और कई बार नशे का आलम। ड्राई¨वग करते समय वाहन चालकों की मनमानी आये दिन हाईवे पर देखने को मिल ही जाती है, जो जर्जर सड़कों पर लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का कारण बनती हैं। वैसे तो हाईवे गंतव्य तक जल्दी और सहूलियत के साथ पहुंचाने में बड़े मददगार हैं, लेकिन इस सुविधा के साथ जब कोई ड्राइ¨वग करते हुए नियमों के उल्लघंन पर उतर आता है, तो वह जानबूझकर हादसों को न्योता दे रहे होते है। हाईवे से दिन में गुजरने पर जिन वाहनों पर पाबंदी होती है, उन्हें लेकर रात के वक्त ड्राइवर जानलेवा रफ्तार से गुजरते हैं। रात के वक्त निगरानी और नियंत्रण की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बेलगाम ड्राइ¨वग के लिए सड़क खुली मिल जाती है। उस बीच अगर कोई छोटा वाहन बड़े ट्रकों और बसों के बीच से निकला तो फिर जान पर आफत तय मानिए।

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अगर गौर किया जाये तो बुलंदशहर जनपद में नियमों का उल्लघंन हादसों की बड़ी वजह है। गलत दिशा में चलते वाहन, नाबालिग वाहन चालक, नशे में वाहन चलाना, बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाना, सड़क पर बेतरतीब वाहन खड़े करना जानलेवा हादसों का सबब बन रहा है। किसी ने एकतरफा यातायात की अनदेखी में जान गवां दी, तो कई डिवाईडर पर कट लगाने के चक्कर में हादसे का शिकार हो गया। कहीं हाईवे पर पहले जल्दी निकलने की जल्दबाजी में कोई काल के गाल में समा रहा है। जनपद में आये दिन नियमों के उल्लघंन के चलते लोग अपनी जिदंगी से हाथ धो रहे है। यह नौबत तब है जबकि प्रत्येक वर्ष पुलिस यातायात नियमों की अनदेखी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रही है। जनपद में ऐसे लोगों से लगातार जुर्माना वसूला जा रहा है। दुर्घटनाओं से लोगों के बचने के लिए प्रत्येक वर्ष तमाम जागरुकता अभियान चलाये जा रहे है। फिर भी लोग सबक नहीं लेने को तैयार है। हादसों की संख्या में बेतहाशा इजाफा जारी है। सबसे अधिक हादसे सर्दी के समय में होते है। इसके अलावा हाईवे की खामियों के चलते भी आये दिन हादसे हो रहे है।

बेपरवाह ड्राइ¨वग जानलेवा

आंकड़ों के मुताबिक 60 फीसद से ज्यादा सड़क हादसों की वजह गलत और बेपरवाह ड्राइ¨वग होती है। ओवर स्पीड, सिग्नल और साइन बोर्ड की अनदेखी, वाहन चलाते सेलफोन पर बात और नशा आदि इसके कारक हैं।

ट्रैफिक नियमों का लचर होना और बतौर जुर्माना कुछेक रुपये देकर कानून के चंगुल से निकल आने की गुंजाइश बेपरवाह ड्राइवरों के लिए मुफीद है। निसंकोच कह सकते हैं कि व्यवस्था की कोताहियों के साथ नियम-कानून की कमतरी से हादसे बढ़ रहे हैं।

प्रत्येक वर्ष जाती हैं सैकड़ों जान

जनपद में सड़क हादसों में प्रति वर्ष सैकड़ों लोगों की जान जाती है। जिसमें 15 से 29 वर्ष के लोग हादसों के सर्वाधिक शिकार होते हैं। सपाट सड़कें और शानदार गाडियों के साथ अगर ट्रैफिक नियम भी बेजोड़ हों, तो शायद अवज्ञा की मानसिकता रखने वाले चालक भी ड्राई¨वग के नियमों के लिए बाध्य हो जाएं। लाइसेंस जारी करते समय प्रशिक्षण और कानूनी बाध्यताओं के दायरे में समेट कर भी बेलगाम रफ्तार पर अंकुश लगाया जा सकता है।

कमतर व्यवस्था और कानून का उल्लंघन :

सरकार, पुलिस और परिवहन विभाग के कामचलाऊ रवैये के चलते ओवरलोडेड वाहनों पर अंकुश नहीं लग रहा। क्षमता से कई गुना अधिक सवारियां और सामान लादकर ये वाहन सड़कों को क्षतिग्रस्त तो करते ही है, साथ में हादसों का सबब भी बनते हैं। छात्रों के बसों पर लटककर सफर करने पर कोई अंकुश नहीं लग सका है। ओवरलोडेड वाहन जिस धड़ल्ले से गुजरते हैं, जबकि कोर्ट ने ओवरलोडेड वाहनों के खिलाफ पुलिस और परिवहन विभाग को सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रखे हैं।

ट्रेक्टर-ट्राली और जुगाड़ जैसे वाहन से अधिक दुर्घटनाएं

अगर पुराने आंकड़ों पर गौर किया जाए तो ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में हाईवे पर हुए हादसे ट्रैक्टर-ट्राली और जुगाड़ वाहन और सड़क किनारे अवैध रूप से खड़े किये गये वाहनों के कारण ही होते है। औसतन 90 प्रतिशत ट्रैक्टर-ट्राली और जुगाड़ के चालक बगैर लाइसेंस के सड़कों पर फर्राटा भरते है। फिर अनियंत्रित होकर जानलेवा बन जाते है। विभाग के अधिकारियों के अनुसार ऐसे वाहन सड़कों के बीचो-बीच और तंग मोड़ पर खराब भी हो जाती है। इस अवस्था में लावारिश रूप में खड़े ये वाहन सड़क हादसों का सबब बन रहे है।

यह भी है हादसों का कारण..

-चलते समय ध्यान भटकना

-शराब पीकर वाहन चलाना

-रांग साइड गाड़ी चलाना

-हेलमेट और सीट बेल्ट नहीं पहनना

-वाहनों को लहराकर चलाना

-वाहनों को तेज रफ्तार से चलाना

-वाहन चलाते समय संयम खोना

-रात के समय में ड्राई¨वग

-ओवरटे¨कग का जुनून

-वाहन चालकों में आपसी तालमेल की कमी

इन्होंने कहा..

हादसों की सबसे अधिक वजह यातायात के नियमों का उल्लंघन ही है। नियमों का उल्लंघन करना आजकल के युवाओं का फैशन बन गया है। उनके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है। सर्दी के मौसम में सड़क हादसे बढ़ जाते हैं, ऐसे में यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर विशेष नजर रखी जाएगी।

- कुलवीर ¨सह राणा, टीएसआई बुलंदशहर।


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