बड़ी कठिन है डगर भोलों की
बुलंदशहर : कांवड़ की राह में रोड़े ही रोडे़ और गड्ढ़े ही गड्ढे हैं। इस बदहाल मार्ग पर पैदल चलना तो दुश
बुलंदशहर : कांवड़ की राह में रोड़े ही रोडे़ और गड्ढ़े ही गड्ढे हैं। इस बदहाल मार्ग पर पैदल चलना तो दुश्वारियों से भरा है। हरिद्वार से कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है, लेकिन एनएचएआइ इस मार्ग की सूरत बदलने के प्रति बेपरवाह है। जिला प्रशासन ने भी मार्ग मरम्मत से हाथ खड़े कर दिए हैं। अब तो कांवड़ियों को इसी खराब मार्ग से होकर चलना होगा।
एक अगस्त से कांवड़ मेला शुरू है। हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़यिे मेरठ के रास्ते होते हुए हापुड से बुलंदशहर पहुंचते हैं। खुर्जा, अलीगढ़गढ़, एटा, इटावा, फीरोजाबाद, कानपुर के काफी संख्या में कांवड़यिे बुलंदशहर से होकर गुजरते हैं, जबकि सिकंदराबाद-नोएडा-दिल्ली के कांवड़एि गुलावटी से होकर निकल जाते हैं।
हापुड़-गुलावठी-बुलंदशहर मार्ग इस वक्त गड्ढों में तब्दील हो गया है। मार्ग पिछले चार साल पहले नेशनल हाइवे ऑथरिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) को हस्तानांतरित है और इस मार्ग का फोरलेन निर्माण प्रस्तावित है, लेकिन जिले के कीब 16 गांवों के किसानों का करीब 56 करोड़ का मुआवजा अभी तक जारी न होने के कारण इस मार्ग का निर्माण अधर में लटका हुआ है। गड्ढे में तब्दील सड़क के कारण मेरठ-बुलंदशहर का सफर दो से ढाई घंटे का लगने लगा है।
कांवड़ यात्रा मेले के लिए प्रशासन ने पूरी कसरत शुरू कर दी है। सड़क के गड्ढे, बिजली के लटके तार, खराब हैंडपंप को दुरुस्त करने को रस्सा-कस्सी तेज है, लेकिन जिला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती खराब एनएच-235 की सड़क को ठीक कराने की है। जिला प्रशासन की बैठक में पीडब्ल्यूडी ने साफ तौर पर सड़क मरम्मत से यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए कि सड़क एनएचएआइ के अधीन है। लिहाजा पीडब्ल्यूडी से मरम्मत कराना संभव नहीं है। इसके बाद तो जिला प्रशासन भी सड़क के गड्ढे भरवाने में असहाय है। हालांकि जिला प्रशासन ने डीएम की तरफ से एक पत्र एनएचएआइ को भेजने की तैयारी चल रही है, जिसमें कांवड़ यात्रा के मद्देनजर मार्ग के गड्ढों की यथाशीघ्र मरम्मत करने की बात कही गई है।
उधर, एनएचएआइ के प्रोजेक्ट मैनेजर र¨वद्र से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन फोन अटैंड नहीं किया।