मां तो मां होती है
खुर्जा, बुलंदशहर : शहर नहीं सड़क नहीं, तू हमारी गांव है। पीपल, बरगद, कीकड़ तू नीम की छांव है। मा
खुर्जा, बुलंदशहर :
शहर नहीं सड़क नहीं, तू हमारी गांव है।
पीपल, बरगद, कीकड़ तू नीम की छांव है। मां।
गीता कुरान, गुरू ग्रंथ शब्द का ज्ञान है।
तू घर की शान, आन-बान का अभिमान है। मां।
मां जन्म देती है। मां की गोद में ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है। संस्कार की घुट्टी पिलाती है। उसे आभार जताने के लिए कोई भी शब्द छोटा है। मेरी मां आमना खां मेरी आदर्श हैं। उन्होने मुझे व्यवहारिक ज्ञान का पाठ पढ़ाया। उनका कहना हैं कि जीवन संघर्ष है। सुख-दुख उनके पहिये है, जब तक नश्वर शरीर में सांस है, दोनो पहिये घूमते हैं। मेरी मां ने मुझे सच्चाई से परिचित कराया कि नारी अबला नही बल्कि नारी शक्ति का प्रतीक है। मातृ दिवस पर अपने द्वारा लिखी गई कविता के जरिए मां की तस्वीर प्रस्तुत करना चाहती हूं।
जैनब खान पुत्री मुस्तकीम खांन
निवासी- सराय मुर्तजा खां, नई बस्ती तरीनान खुर्जा।