सतर्कता के रिक्टर स्केल पर संवेदनहीन है सिस्टम
सुमन लाल कर्ण, बुलंदशहर: जान-माल की सुरक्षा व सतर्कता के रिक्टर स्केल पर व्यवस्था संवेदनहीन है। ब
सुमन लाल कर्ण, बुलंदशहर:
जान-माल की सुरक्षा व सतर्कता के रिक्टर स्केल पर व्यवस्था संवेदनहीन है। बुलंदशहर जनपद भूकंप के लिहाज से जोन-फोर यानि के बेहद संवेदनशील क्षेत्र में शामिल है। मेरठ मंडल पृथ्वी के भीतर चट्टानों की प्लेटों के फाल्ट (टेक्टॉनिक फाल्ट) से ऊपर बसा हुआ है। इसके चलते यह क्षेत्र तबाही के लिहाज और भी गंभीर है। पिछले माह आए भूकंप में इतिहास में पहली बार मेरठ भूकंप का अधिकेंद्र बना था और बुलंदशहर तक झटके महसूस किए गए थे। इससे चेतने और सबक लेने के बजाय प्रशासन और बुलंदशहर विकास प्राधिकरण गहरी नींद में है।
बुलंदशहर नगर बेतरतीब और अविवेकपूर्ण निर्माणों के चलते हांफ रहा है। शहर के रिहायशी और बाजार वाले इलाकों बिना भूकंपरोधी मानक के भवन बन रहे हैं। यहां तक कि बिना बीडीए से स्वीकृत छह दर्जन से अधिक कालोनियां बन गई हैं, जाहिर है यहां बने सैकड़ों मकान-दुकान बिना बीडीए से नक्शे स्वीकृत कराए बने हैं। जाहिर हैं इनमें भूकंपरोधी मानकों की गारंटी नहीं है। शहर के पुराने इलाकों में बीडीए से बिना नक्शा स्वीकृत कराए बेतरतीब तरीके से मकान-दुकानें बन रहीं हैं। अगर भूकंप का बड़ा झटका आया और तबाही हुई तो बचाव कार्य को भी अंजाम नहीं दिया जा सकेगा। बीडीए इन पर अंकुश लगाने में विफल है।
मौत के मुहाने पर है ऊपरकोट, बेखौफ हो रहे अवैध निर्माण
ऊपरकोट भूकंप के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील इलाका है। यह मिट्टी के टीले पर बसा है, जिसकी बुनियाद खोखली हो चुकी है। बारिश और भूकंप में यहां मकानों का धंसना, भरभराकर गिरना या दरारें आना आम है। शनिवार को आए भूकंप से इस क्षेत्र के दर्जनों मकानों में दरारें आ गईं। इसके बावजूद यहां भूकंपरोधी मानकों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से भवन बन रहे हैं। यहां तक कि नये मकान या मंजिल बनाते समय लोग बीडीए से नक्शा स्वीकृत कराना भी उचित नहीं समझते। दरअसल, प्रशासन इस क्षेत्र को खतरनाक बताते हुए नये निर्माण पर रोक लगा रखी है, लेकिन न तो प्रशासन बन रहे भवनों पर रोक लगा रहा है न प्राधिकरण को इसकी ¨चता है। यहां के लोग भी खतरे को लेकर बेखौफ हैं।
1-1.5 मिनट रहता भूकंप तो तबाह हो जाता आधा शहर
शनिवार को आए भूकंप की तीव्रता काफी कम रही। इस अवधि बामुश्किल 21-22 सेकंड के लिए रहा। अब एक या डेढ़ मिनट के लिए भूकंप आता तो ऊपरकोट का बड़ा हिस्सा तबाह हो सकता था और शहर में व्यापक जान-माल की क्षति होती।
जोन फोर में शामिल है बुलंदशहर
भूकंप के लिहाज से भारतीय मानक ब्यूरो (आइएसबी) ने पूरे देश को पांच भागों में बांटा है। यह क्रमश जोन-एक, जोन-दो, जोन-तीन, जोन-चार एवं जोन-पांच है। भूकंप के नजरिये से जोन-एक सुरक्षित, जोन-दो मामूली, जोन-तीन संवेदनशील, जोन-चार अतिसंवेदनशील एवं जोन-पांच बेहद खतरनाक क्षेत्र कहलाता है। बुलंदशहर जोन चार में शामिल है। इसके अलावा यह टेक्टॉनिक फाल्ट पर बसा शहर है, इसके चलते यहां भूकंपरोधी मकान को लेकर बेहद चुस्ती रखने की जरूरत है।
भूकंपरोधी भवन का यह है शासनादेश, उड़ रही खिल्ली
भूकंपरोधी भवन के लिए बकायदा अलग शासनादेश है। इसके अनुपालन की जिम्मेदारी प्राधिकरण पर है। इस नियम के अनुसार 350 मीटर से अधिक आकार वाले भवन का नक्शा की मंजूरी के लिए आवेदन के समय आर्किटेक्ट का नक्शा के अलावा स्ट्रक्चरल इंजीनियर का डिजाइन एवं गणना देनी होती है। स्ट्रक्चर इंजीनियर गणना देता है कि भवन में कहां कॉलम, बीम, बेंड आदि होंगे। इसकी लंबाई-चौड़ाई-मोटाई कितनी होगी। कितने एमएम का सरिया, बैंड आदि लगेगा। भवन निर्माण के बाद स्ट्रक्चरल इंजीनियर सर्टिफेकेट जारी करता है कि उसके देखरेख में भवन बना है। भवन मानक के अनुसार नहीं बनाए जाने पर संबंधित स्ट्रक्चरल इंजीनियर और नक्शा मंजूर करने प्राधिकरण के अधिकारी पर क्रिमिनल मुकदमा दर्ज किया जाना है। जान का अचरज होगा कि आज तक एमडीए अफसरों न किसी भवन के भूकंपरोधी होने की जांच कराई, न किसी इंजीनियर पर कार्रवाई हुई। जनपद में दर्जनों स्कूल-कालेज, निजी हास्पीटल, होटल, बारात घर आदि भूकंपरोधी मानक का पालन किए जाने को लेकिन बीडीए या संबंधित एजेंसी से बिना प्रमाणपत्र लिए बेरोकटोक चल रहे हैं। खासकर हजारों बच्चे जिस स्कूल में पढ़ रहे हैं, वह भवन कितना सुरक्षित है? इसकी गारंटी देने वाला कोई नहीं।
इन्होंने कहा..
बीडीए द्वारा नक्शा पास करने के समय यह शर्त लागू किया जाता है कि भवन निर्माण में भूकंपरोधी मानकों का पालन किया जाएगा। बकायदा इसका प्रमाण पत्र लिया जाता है। बहरहाल, भूकंप को लेकर ¨चता की कोई बात नहीं है।
-महावीर ¨सह, सचिव बीडीए।