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डाक्टरों ने कूड़े में फेंकी कीमती दवाइयां

सिकंदराबाद, (बुलंदशहर) : सिकंदराबाद स्थित संयुक्त चिकित्सा अस्पताल में गुरुवार को अस्पताल कर्मियों न

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 07:16 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 07:16 PM (IST)
डाक्टरों ने कूड़े में फेंकी कीमती दवाइयां

सिकंदराबाद, (बुलंदशहर) : सिकंदराबाद स्थित संयुक्त चिकित्सा अस्पताल में गुरुवार को अस्पताल कर्मियों ने डिलीवरी के दौरान गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली कीमती दवाएं कूड़े में फेंक दी। दवाइयां कूड़े में फेंके जाने की सूचना मिलते ही राम रईस गौ सेवा संस्था के पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और हंगामा खड़ा कर दिया। पदाधिकारियों का आरोप है कि लाखों की कीमतों में दवाइयों को जला दिया, जो दवाइयां बची थीं उन्हें वह साथ ले गये और सीएमओ को सौंप दिया।

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गुरुवार को राम रईस गौ सेवा संस्था के अध्यक्ष रईस चौधरी को सूचना मिली कि संयुक्त चिकित्सा अस्पताल में कूड़े में कीमती दवाइयां जलाने को फेंकी गई हैं। रईस अपनी संस्था के साथ मौके पर पहुंचे और जलने से बच रही दवाइयों को उठा लिया। रईस ने जिन दवाइयों को मौके से उठाया हैं उनमें लिग्नोकेन, एलवंडा और सिफेक्सिन नामक एंजेक्शन और दवाइयां हैं। यह सभी दवाइयां डिलीवरी के दौरान उपयोग की जाती हैं। 2013 में यह दवाइयां खरीदी गई थीं। रईस का आरोप था कि भारी मात्रा में रेबीज के इंजेक्शन भी फेंके गये। कमीशनखोरी के चक्कर में दवाइयों को फेंककर डॉक्टर मरीजों को दवाई नहीं होने की बात कहकर बाहर भेज देते हैं। पदाधिकारियों ने सीएमओ को मौके पर बुलाने और आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा खड़ा कर दिया। सूचना मिलते ही सीएमओ डा. दीपक ओहरी, रेडियोलोजिस्ट डा. एपी सिंह मौके पर पहुंचे। सीएमओ ने पहले उस स्थान को देखा जहां दवाइयां फेंकी गई थीं। मौके पर सीएमओ को कुछ इंजेक्शन और दवाइयां मिलीं। सीएमओ के पहुंचने के बाद रईस दवाइयों को लेकर अस्पताल पहुंच गये और चिकित्सा अधिकारी को सौंपा। सीएमओ ने पूरे स्टाफ से बंद कमरे में पूछताछ की। इस दौरान चिकित्सा अधीक्षक डा. आलोक भार्गव से भी पूछताछ की गई।

मगरमच्छों को बचाने की कोशिश

गुरुवार को दवाइयां फेंके जाने के बाद सीएचसी के वरिष्ठ डॉक्टर निशाने पर आ गये हैं। हालांकि सीएमओ ने स्टाफ नर्स और वार्ड आया को दोषी बताते हुए कार्रवाई की बात कही है, लेकिन यह कार्रवाई किसी को रास नहीं आ रही है। सीएमओ का कहना है कि स्टाफ नर्स रूबी और शैरी डेनियल के पास दवाइयां थीं। वार्ड आया मनीषा ने दोनों के कहने पर दवाइयां फेंकी थीं। दिसंबर 2014 में यह दवाइयां एक्सपायर हो रही थीं। इसलिए दवाइयों को फेंका गया। सीएमओ का दावा है कि दोनों नर्सों को बुलंदशहर कार्यालय से अटैच कर दिया गया है जबकि आया को निलंबित कर दिया गया है। रईस चौधरी का आरोप है कि स्टाफ नर्स और आया किसी भी अधिकारी की बिना अनुमति के दवाइयों को नहीं फेंक सकती। सीएमओ आरोपी डाक्टरों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिकायत डीएम से की जाएगी।


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