दीपावली: खुशियां मनाएं, जरा संभल के..
बुलंदशहर: दीपावली में खुशियां मनाने की तो पूरी आजादी है, लेकिन हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि आतिशबा
बुलंदशहर: दीपावली में खुशियां मनाने की तो पूरी आजादी है, लेकिन हमें यह भी ख्याल रखना चाहिए कि आतिशबाजी और लापरवाही किसी के खुशियों में ग्रहण न लगा दें। स्वास्थ्य के लिहाज से अतिशबाजी कुछ खास तरह के मरीज एवं छोटे बच्चों के लिए काफी खतरनाक है। लिहाजा खुशियां मनाएं, लेकिन जरा संभल के।
आतिशबाजी कई तरह से नुकसानदेह है। आतिशबाजी छोड़ते समय लोग मस्ती में इस कदर डूब जाते हैं कि कई बार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। आतिशबाजी अचानक फटने से हाथ-पैर झुलसना आम बात है। कई बार स्काई क्रैकर्स आसमान में जाने के बजाय आसपास लोगों को निशाना बना देते हैं। घरों में आकर गिरे तो आग लगने की संभावना भी रहती है। कई लोगों आंख की रोशनी चली जाती है। कोई कान से अपाहिज हो जाता है।
राधानगर निवासी महीपाल सिंह बताते हैं कि पांच वर्ष पहले आतिशबाजी चलाते समय हाइड्रो बम से उनके साथी का हाथ में फट गया। उनका हाथ और सीना बुरी तरह झुलस गया। ऐसी वारदातों की कहानी हर गांव-गली-मोहल्लों में मिलती है। हमें उनसे सबक लेनी चाहिए।
अतिशबाजी स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक है। कुछ पल का आनंद खास मरीज एवं बच्चों के लिए काफी घातक होता है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अनिल चौहान के अनुसार अस्थमा और हृदय रोगियों के लिए यह खास रूप से घातक है। पटाखे जलने के बाद कार्बन डाय अक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, सल्फर डाइआक्याइड, अमोनिया, फास्फोरस आक्साइड आदि विषैली गैसें निकलती हैं। पटाखों की धुआं नाक के रास्ते फेफड़ों में पहुंचता है। अस्थमा के रोगियों को काफी नुकसान पहुंचाता है। सूजन बढ़ी तो अस्थमा रोगियों को सांस का अटैक पड़ने के लिए संभावना रहती है। हृदय रोगियों के लिए पटाखे का धुआं खासा प्रभावित करता है। जहरीली गैसें हृदय की नलियों में फेफड़े के माध्यम से पहुंचती हैं। आक्सीजन की कमी के चलते हृदय रोगियों को दौरा पड़ने की संभावना रहती है।