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खुले में शौच को जाने के लिए मजबूर छात्राएं

By Edited By: Published: Sun, 31 Aug 2014 10:39 PM (IST)Updated: Sun, 31 Aug 2014 10:39 PM (IST)
खुले में शौच को जाने के लिए मजबूर छात्राएं

बुलंदशहर : शौचालय के अभाव में छेड़छाड़, दुष्कर्म जैसी घटनाएं अक्सर सामने आती हैं, मगर भारत सरकार की चिंता और राज्य सरकार के दावे के बाद भी सैकड़ों प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई है। विभागीय अधिकारी भी इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। जो शौचालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, उनकी भी मरम्मत नहीं कराई गई। छात्राओं को शौच के लिए खेतों में जाना पड़ता है। शर्म-संकोच की जो पीड़ा उन्हें झेलनी पड़ती है, उसे बयां करना कठिन है।

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जनपद में 2,400प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। इनमें से सैकड़ों की संख्या में ऐसे विद्यालय हैं, जहां शौचालय नहीं हैं। स्वच्छता के लिए केंद्र सरकार ने निर्मल भारत नाम से मिशन भी चला रखा है, लेकिन यह औंधे मुंह पड़ा है। हर गांव-घर दूर, स्कूलों में भी शौचालयों की सुविधा नहीं है। जनपद का हाल ऐसा है कि छात्राओं को खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ता है।

जिन विद्यालयों में शौचालय हैं भी, उनकी तस्वीर ऐसी है कि न होना न होना बराबर है। किसी स्कूल के शौचालय में किवाड़ नहीं हैं तो किसी में कबाड़ पड़ा हुआ है। गंदगी तो बेहिसाब है। शिक्षा विभाग की फाइलों में जरूर ये शौचालय चका-चक हैं। आए दिन ग्रामीण शौचालय बनवाने की मांग को लेकर, शिक्षा विभाग से मांग करते हैं। शिक्षा विभाग बजट न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ देता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में खराब है ज्यादा स्थिति

ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति ज्यादा खराब है। यहां शौचालय न होने के कारण छात्राओं को स्कूल छोड़कर घर जाना पड़ता है या फिर खेत आदि। इसमें सुरक्षा का बड़ा खतरा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शौच जाने वाली लड़कियों, महिलाओं के साथ अप्रिय घटनाएं होती रहती हैं।

अधिकतर शौचालयों में ताले

जनपद में दर्जनों की संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां शौचालय तो हैं, लेकिन विद्यार्थी उसका इस्तेमाल नहीं कर पाते। शौचालयों में ताला लगा रहता है। शिक्षक-शिक्षिकाएं ही इसका प्रयोग करते हैं।

इन्होंने कहा

'बेसिक के सभी विद्यालयों में लगभग शौचालय हैं। जिन विद्यालयों के शौचालय क्षतिग्रस्त हैं, उनका समय-समय पर सुधार कराया जाता है। जिन विद्यालयों में शौचालय नहीं हैं, वहां के लिए शासन से बजट मांगा गया है, बजट आते ही निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। जिन शौचालयों में शिक्षक ताले लगाकर रखते हैं, वहां का निरीक्षण कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।'

महेश चंद, बीएसए।


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