नहीं रहे अखाड़े के सूरमा 'छोटे पहलवान'
खुर्जा, बुलंदशहर : देश में ही नहीं, बल्कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के अखाड़ों में भी तिरंगा लहराने वाले 90 वर्षीय छोटे पहलवान का शुक्रवार सुबह निधन हो गया। वह पिछले कई दिनों से बुखार की चपेट में थे। पहलवान की मौत की खबर सुनते ही आस-पास के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी। शाम को जनाजे को हजारों लोगों ने कंधा दिया।
परिजनों के अनुसार देहात क्षेत्र के गांव अगौरा में वजीर खां के घर जन्मे छोटे पहलवान को बचपन से ही कुश्ती का शौक था। दारा सिंह की कुश्तियों के आयोजक रहे किंगकांग ने भी मुंबई में छोटे पहलवान को आंमत्रित किया था, जिसमें इन्होंने खिताब भी जीता। वर्ष 1954 में छोटे पहलवान ने पाकिस्तान के अखाड़ों के पहलवानों को धूल चटाई थी। वहां उस्ताद असद पहलवान की शागिर्दगी में छोटे पहलवान ने कई बार परचम लहराया था। 1964 में उन्होंने संन्यास ले लिया और खुर्जा आकर विवाह कर लिया। इनके चार पुत्र और तीन पुत्री हुए। पुत्र हाजी हयात, जुबैर, हासिम, तारिक और पुत्री किश्वर, फरत व जैनब हैं।
छोटे पहलवान कई साल से गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे। विभिन्न खिताब नाम कर चुके छोटे पहलवान तीन दिनों से बुखार में थे। शुक्रवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। सूचना पर खुर्जा और गैर जनपदों से लोग छोटे पहलवान के जनाजे को कंधा देने पहुंचे। देर शाम गमगीन माहौल में गांव के कब्रिस्तान में उनका शव सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
पहलवानों में छाया शोक
छोटे पहलवान के इंतकाल से पहलवानों में शोक छा गया। गांव पहुंचकर पहलवान महेश, चमन, लीला पहलवान, नत्थी, रफीक कुरैशी, रहीस, पटेल पहलवान, युनूस, साबू पहलवान और बाबूलाल आदि ने श्रद्धांजलि दी।