'जुगाड़' पर चल रही ग्रामीण ¨जदगी
बिजनौर : नोटबंदी से किसानों के सामने कई समस्या आ रही हैं। गांव की ¨जदगी जुगाड़ पर आ गई है। मजदूरों को
बिजनौर : नोटबंदी से किसानों के सामने कई समस्या आ रही हैं। गांव की ¨जदगी जुगाड़ पर आ गई है। मजदूरों को पैसा देने के लिए कई समस्या सामने आ रही है। दुकानों से उधार चल रहा है। एक दूसरे को कुछ समय बाद पैसा चुकता करने का भरोसा देकर काम चलाया जा रहा है। सोसाइटी से बीज और खाद कर्ज पर लिया जा रहा है। आलम यह है कि नगदी नहीं होने पर पुराना बीज बोकर किसान खेती करने पर मजबूर हैं।
पांच सौ व हजार का नोट बंद होने से गांव के जीवन में ठहराव आ गया है। किसान को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। खेती के लिए मजदूर मिलना मुश्किल हो रहा है। सालमाबाद के सुनील तोमर का कहना है कि खेती के लिए खाद्य व बीच नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते सोसाइटी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। बैंक से सिर्फ दो हजार रुपये ही निकल पा रहा है। वहीं किसान उतम कुमार का कहना है कि किसान को खाद-बीच के लिए दिक्कत आ रही है। पैसे की कमी के चलते मजदूर को मजदूरी नहीं दे पा रही है।
गांव रायपुर बेरीसाल के ग्राम प्रधान मोहित कुमार का कहना है कि गांव में मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। कभी-कभी मजदूर को बाद में पैसे देने का आश्वासन देकर काम कराया जा रहा है, इसलिए मजदूर काम करने को तैयार नहीं है। खेती के काम बीच में अटके हुए हैं। एटीएम नहीं होने के चलते पैसे निकालने के लिए शहर या कस्बे में जाना पड़ता है। जिसके चलते पूरा दिन बर्बाद हो जाता है। काफी भागदौड़ के बाद महज दो हजार रुपये मिल पाते हैं। जिससे काम चल पाना काफी मुश्किल हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में कुछ लोगों दूध बेचकर जीवन-यापन कर रहे हैं। सिर्फ जरूरतमंद चीजे ही खरीद पा रहे हैं।
गांव मलकरपुर देहरी में डेयरी संचालक सुरेश कुमार का कहना है कि नोटबंदी से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। प्रतिदन आठ- से दस हजार का दूध आता है। बैंक से दो से चार हजार रुपये मिल पाते हैं। जिस वजह से बकाया काफी हो गया है। दूध के पैसे बाद में चुकता करने का आश्वासन दिया गया है।
गांव मलकपुर देहरी के रणवीर ¨सह ने बताया कि गांव के दुकानों पर सामान उधार लेकर लोग काम चला रहे हैं। स्थिति सामान्य होने पर पैसा चुकाने का भरोसा दिलाया जा रहा है। वहीं गांव में एटीएम नहीं होने से भी कई परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। इसलिए गांव की ¨जदगी एक दूसरे के विश्वास पर टिकी है। जैसे-तैसे ग्रामीण काम चला रहे है। नोटबंदी से खड़ी हुई कई परेशानियों से लोगों को लगातार लड़ना पड़ रहा है।