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संस्कारशाला: स्वर्ग से भी महान है मां और मातृभूमि

हमने जिस देश में जन्म लिया है, वह हम सभी देशवासियों को अन्न, धन, धान्य व सुरक्षा प्रदान करता है। उसक

By Edited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 10:56 PM (IST)
संस्कारशाला: स्वर्ग से भी महान है मां और मातृभूमि

हमने जिस देश में जन्म लिया है, वह हम सभी देशवासियों को अन्न, धन, धान्य व सुरक्षा प्रदान करता है। उसकी गरिमा, उज्ज्वल भविष्य बनाए रखने और उन्नति व विकास की ओर अग्रसर करने का महत्वपूर्ण कर्तव्य प्रत्येक नागरिक का बनता है। देशभक्ति का तात्पर्य अपने देश के साथ प्रेम करना है। यह मानव के हृदय में जलने वाली ईश्वरीय ज्वाला है, जो अपनी जन्मभूमि को अन्य सभी से अधिक प्यार करने की शिक्षा देती है। देशभक्त अपने देश के लिए बड़े से बड़े त्याग करने के लिए आतुर रहते हैं। राष्ट्र के लिए बलिदान होने के लिए सदा तैयार रहते हैं और देशभक्ति ही सबसे श्रेष्ठ गुण है। एक संस्कृत युक्ति में कहा गया है कि मां और मातृभूमि तो स्वर्ग से भी महान है। अपने देश के दुखों और खतरों में हमें इसके साथ खड़ा होने, इसके लिए कार्य करने और यदि आवश्यकता पड़े तो इसके लिए अपना जीवन अर्पण करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

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क्या इसी देश ने अपनी गोदी में हमें खिलाया नहीं, हमारा पोषण और हमें सुरक्षा प्रदान नहीं की? अपने देश से प्यार न करना अकृतज्ञता के सिवाए कुछ नहीं है। देश के प्रति हमारा पहला कर्तव्य मानवता के प्रति है। नागरिक, पिता, पुत्र होने से पूर्व हम मनुष्य हैं। यदि हम पूरे विश्व को अपना परिवार नहीं मानते, परमात्मा के बनाए जीव को अपना नहीं मानते तो हम देश के प्रति समर्पित नहीं हो सकते। यह सर्वविदित है कि यदि देश का मान है तो हमारा भी मान है।

हमारा कर्तव्य है कि हम अपने देश के स्वाभिमान और गौरव को बनाए रखें। आज हम हम ही अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, हम ही इसका सम्मान नहीं करते। हम तो बस अंग्रेजों की नकल करते हैं। यदि हम अपनी संस्कृति की रक्षा नहीं करेंगे तो कौन करेगा? याद करो उन देशभक्तों को जिन्होंने अपने देश की गरिमा और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी। हमें आज उनके बलिदानों को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। अत: हमें एक सच्चे देशभक्त व जिम्मेदार नागरिक की भांति अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करना चाहिए।

राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य विभिन्न रूपों में हमारे सामने आते हैं। यदि हम अपने राष्ट्र को उत्कृष्ट बनाना चाहते हैं तो हमें इन कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का ईमानदारी से पालन करना होगा। जैसे सरकार द्वारा बनाए हुए कानूनों व नियमों का पालन करना तथा दूसरों को भी ऐसा करने की प्ररेणा देना, किसी भी प्रकार के सामाजिक अपराध को सहन न करना, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, अपने आस पड़ोस के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखना तथा चारों तरफ साफ-सफाई रखकर स्वच्छता अभियान में सहयोग देना एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना, जरूरतमंद लोगों को समाधान उपलब्ध करना आदि। अपने राष्ट्र के लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना एक नागरिक का अपने राष्ट्र के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना है। किसी भी राष्ट्र की उन्नति व विकास में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान है क्योंकि कभी-कभी जो जंग किसी हथियार के बल पर नहीं जीती जा सकती, वह कलम की ताकत से आसानी से जीती जा सकती है। क्योंकि-

कलम देश की है इक शक्ति, जोश जगाने वाली।

दिल-ओ-दिमाग में आग लगाकर, सोता देश जगाने वाली।।

-इन्द्रपाल ¨सह, प्रधानाचार्य, ऑक्सफोर्ड पब्लिक सीनियर सेकेंड्री स्कूल, नहटौर।


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