हाथ बांधकर मौत के आगोश में सो गए
बिजनौर : नरेंद्र व रीता की आत्महत्या की वजह उनकी मौत से साथ ही दफन हो गई है। मगर उनकी मोहब्बत इस कदर
बिजनौर : नरेंद्र व रीता की आत्महत्या की वजह उनकी मौत से साथ ही दफन हो गई है। मगर उनकी मोहब्बत इस कदर थी कि उन्होंने मौत की दहलीज भी एक दूसरे के हाथ बांधकर पार की। सुबह परिसर में नल पर पड़े दोनों शवों के हाथ एक दूसरे से बंधे हुए थे।
तीन साल की प्रेम कहानी का इतना दुखांत अंत होगा, यह किसी भी नहीं सोचा था। नरेंद्र व रीता के बीच शिक्षा की भी गहरी खाई थी। रीत बीए कर रही थी, वहीं नरेंद्र दसवीं फेल था और परचून की दुकान पर काम करता था। वह कभी-कभी जागरण की मंडली में भी काम करता था। दोनों की परिवार में भी आर्थिक अंतर था। फिर भी रीता नरेंद्र से बेइंतहा प्यार करती थी। मगर परिजन उनकी प्यार से बेपरवाह थे। मौत की खबर पर उनकी मुंह से सिर्फ एक ही शब्द था कि आखिर एक बार तो वे अपने बारे में बताते। उनकी शादी करा देते। सवाल उठता है कि आखिर जब परिजन विरोध नहीं कर रहे थे, तो उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया। हल्दौर से कई किमी दूर सुनसान मठ को क्यों चुना। बुधवार रात को ऐसी क्या बात हुई कि उन्होंने आत्महत्या की ठान ली। तमाम सवालों के जवाब पुलिस व परिजनों के पास नहीं है। आत्महत्या का यह राज दोनों की मौत की साथ ही दफन हो गया है।
लाशों की बेकद्री
पुलिस ने बिना शील किए दोनों के शव पोस्टमार्टम हाउस पर भिजवा दिए। इस दौरान शव को शील तक नहीं किया गया। दोनों को साथ में लिटाया गया, लेकिन कफन तक उनके ऊपर नहीं डाला गया। घंटों तक शव खुले पड़े रहे। दोपहर बाद शव को को शील किए गए।
एक साथ नहीं हो सका अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम के बाद दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ नहीं हो सका। युवती के परिजन सीधे बैराज पर शव ले गए, वहीं नरेंद्र के परिजन शव को घर पर ले गए। बताया जा रहा है कि घटना को लेकर युवती के परिजन काफी नाराज थे। सूचना मिलने के बाद भी वह थाने में आने को तैयार नहीं थे। पुलिस के दवाब के चलते परिजन काफी देर बाद थाने पहुंचे।