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हर कोई भुगतेगा इस गुनाह की सजा

बिजनौर : भूगर्भ जल का दोहन इसी रफ्तार से होता रहा है तो वह दिन दूर नहीं, जब गंगा के तट पर बसे बिजनौ

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 10:52 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 10:52 PM (IST)
हर कोई भुगतेगा इस गुनाह की सजा

बिजनौर : भूगर्भ जल का दोहन इसी रफ्तार से होता रहा है तो वह दिन दूर नहीं, जब गंगा के तट पर बसे बिजनौर वासियों को भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना होगा। जनपद में गंगा के अलावा दर्जन भर नदियां बहती हैं। इसके बावजूद 11 में चार ब्लाक क्षेत्र डार्क जोन में हैं। हालत यह है कि भूजल के रीचार्ज के लिए किए जा रहे प्रयास मामूली हैं जबकि दोहन अत्यधिक किया जा रहा है। हालात यही रहे तो किसी किए की सजा हर कोई भुगतेगा।

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भूगर्भ जल बड़ी सीमित मात्रा है। बिजनौर जनपद में वर्तमान में पीने लायक पानी जमीन के द्वितीय स्टेटा पर सही माना जाता है। इसकी गहराई लगभग 150 से लेकर 200 फिट तक है लेकिन यह भी धीरे-धीरे दूषित होता जा रहा है। आमतौर पर घरों में लगने वाले सामान्य हैंडपंपों का पानी पीने लायक नहीं रह गया है। यह हाल तब है, जब जनपद से जीवनदायिनी गंगा होकर गुजरती है। देवभूमि से निकलकर गंगा सबसे पहले बिजनौर में ही प्रवेश करती है। इसके अलावा रामगंगा, मालन, गांगन, खो, गूलाह, नकटा नदियों समेत नहरों का जाल जिले में बिछा हुआ है। इसके बावजूद भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है।

इनसेट :

चार ब्लाक पहुंच गए डार्क जोन में

नदियों और नहरों के जान के बावजूद बिजनौर जनपद में भूजल का स्तर बेहद खतरनाक स्थिति में जा रहा है। जनपद के 11 ब्लाक क्षेत्रों में से चार डार्क जोन में चले गए हैं। नहटौर, जलीलपुर, नूरपुर और स्योहारा ब्लाक क्षेत्रों में भूजल का अति दोहन हो रहा है। चारों ब्लाक क्षेत्रों के डार्क जोन में जाने से इनमें नए बो¨रग पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है।

सबमर्सिबल और भूजल का व्यावसायिक उपयोग बढ़ा रहा परेशानी

लोग पेयजल के लिए सबमर्सिबल लगवा रहे हैं। आलम यह है कि सबमर्सिबल से पानी बहने पर कोई रोक नहीं है। घरों में टैंक भरने के बावजूद सबमर्सिबल चलते रहते हैं और पानी नालियों में बहता रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में हालात यह हैं कि बिजली आते ही सबमर्सिबल शुरू हो जाते हैं और बिजली जाने पर ही बंद होते हैं। इसके साथ ही कार व दुपहिया वाहनों के वा¨शग सेंटर, भूजल का दोहन कर उसे बोतल बंद एवं डब्बों से माध्यम से व्यावसायिक रूप से सप्लाई करना आदि कार्य भूजल के दुश्मन बनते हुए हैं।

यहां के लोग भूजल संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहे हैं। बड़े दुख की बात है कि लोग इतने गंभीर विषय पर जागरूक नहीं है। यदि अभी नहीं चेते तो हालात राजस्थान वाले होंगे। यह बड़ा गंभीर विषय है। लोग भूजल बचाने के बजाय और उसे दूषित करने में लगे हुए हैं।' - डा. मीना बख्शी, कार्यवाहक प्राचार्या, वर्धमान कालेज।

भूजल संरक्षण के प्रति लोगों में जरा भी जागरूकता नहीं है। पानी बह रहा है तो उसे रोकने के लिए कोई आगे नहीं आएगा। सबमर्सिबल शुरू हो गया तो उसे बंद करने की ¨चता किसी को नहीं है। आज की यह लापरवाही आने वाले समय में बड़ी मुसीबत का सबब बनेगी। भले ही वर्तमान जिले में पेयजल की कमी नहीं है लेकिन भूजल का दोहन देखकर भविष्य अंधकार में दिख रहा है।'

- राहुल चौधरी, समाजसेवी।


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