निजाम के संरक्षण में भ्रष्टाचार का पोषण
बिजनौर : भ्रष्टाचार को निजाम का संरक्षण देने की बानगी है डास्प योजना में हुआ घालमेल प्रकरण। इस योजना
बिजनौर : भ्रष्टाचार को निजाम का संरक्षण देने की बानगी है डास्प योजना में हुआ घालमेल प्रकरण। इस योजना में हुए घालमेल का पर्दाफाश करके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए अधिकारी ही घालमेल पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। यह मामला एसडीएम से लेकर कमिश्नर तक गया, लेकिन हर अफसर ने मामले से पल्ला झाड़ लिया।
बिजनौर जनपद में डास्प योजना संचालन में घालमेल की शिकायत पर जिलाधिकारी ने जांच बैठा दी। जांच का जिम्मा दिया गया एसडीएम सदर अंजूलता को। अंजूलता ने तत्कालीन जिला समन्वयक डास्प आरएस पिप्प्ल से योजना के तहत लाभार्थियों की सूची मांगी। इस पर जिला समन्वयक ने अधूरी जानकारी एसडीएम को दे दी। एसडीएम ने पूर्ण रिकार्ड मांगा तो उन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया। रिकार्ड मांगने के लिए कई बार जब एसडीएम ने अनुस्मारक भेजे तो जिला समन्यक ने एसडीएम को पत्र लिख दिया गया कि उक्त रिकार्ड मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के लिए अपने कब्जे में ले लिया है। इस पत्र के बाद प्रतिनियुक्ति पर प्रदेश में आए जिला समन्वयक तो अपने मूल विभाग में हरियाणा लौट गए। रिकार्ड नहीं मिलने से एसडीएम की जांच भी अधूरी रह गई। इस मामले का सबसे बड़ा खेल यहीं से शुरू हुआ। इस संबंध में जब दोबारा पड़ताल हुई तो सीडीओ ने भी स्पष्ट इंकार कर दिया कि उनके पास रिकार्ड नहीं है। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि आखिर रिकार्ड कहां गया। इस संबंध में दैनिक जागरण ने मामले की पड़ताल की तो एसडीएम सदर ने कहा कि रिकार्ड नहीं मिलने से मामले की जांच नहीं हो पाई। जिला समन्वयक का एसडीएम को लिखा पत्र बताता है कि रिकार्ड सीडीओ ने जांच के लिए कब्जे में ले लिया है। उधर, सीडीओ का कहना है कि रिकार्ड उनके पास नहीं है। इस प्रकरण को एक माह से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन आज तक इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है कि आखिर रिकार्ड गया तो कहां गया?
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समन्वयक के पत्र ने खोली पोल
बिजनौर : समन्वयक ने जांच अधिकारी एसडीएम सदर को लिखे पत्र में कहा है कि जांच के लिए रिकार्ड सीडीओ के पास है, जबकि सीडीओ का कहना है कि उनके पास रिकार्ड नहीं है। समन्वयक के पत्र ने स्पष्ट कर दिया है कि अफसर इस मामले का खुलासा करने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाए मामले पर कुंडली मार रहे हैं, यदि जिला समन्वयक ने झूठा पत्र लिखा तो अफसरों ने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। घालमेल का खुलासा होने के बावजूद निजाम को ठेंगा दिखाकर समन्वयक प्रदेश सरकार से एनओसी लेकर मूल विभाग और राज्य में वापस कैसे चले गए?
इनका कहना है..
यह बेहद गंभीर मामला है। सीडीओ से इस संबंध में जवाब तलब करेंगे।
- विपिन कुमार द्विवेदी, मंडलायुक्त।
मेरे पास रिकार्ड न आने की वजह से जांच पूरी नहीं हो पाई।
अंजूलता, एसडीएम सदर।
मेरे पास डास्प योजना का कोई रिकार्ड नहीं है।
अखंड प्रताप ¨सह, सीडीओ।