माफिया-अफसरों के गठजोड़ से टूटा नदी का प्रवाह
धामपुर (बिजनौर): माफिया और विभागीय अफसरों के गठजोड़ की भेंट चढ़ गया है बनैली नदी का प्रवाह। एक दर्जन
धामपुर (बिजनौर): माफिया और विभागीय अफसरों के गठजोड़ की भेंट चढ़ गया है बनैली नदी का प्रवाह। एक दर्जन गांवों से होकर गुजरने वाली इस नदी पर अवैध कब्जे का आलम यह है कि दबंगों ने नदी का प्रवाह खत्म करके यहां पर फसल उगानी शुरू कर दी है। सिंचाई विभाग के अफसर मामले को राजस्व विभाग के पाले में डालकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर रामगंगा में विलय होने वाली बनैली कहने को तो बरसाती नदी हे, लेकिन दस साल पहले इसका प्रवाह साल भर बना रहता था। इससे खेतों की सिंचाई तो नहीं हो पाती थी, लेकिन जंगली जानवरों की प्यास बुझाने का यह सर्वोत्तम माध्यम था। जंगली जानवर अक्सर इसी नदी के किनारे एकत्र होते थे। करीब दस साल पहले दबंग और माफिया की इस नदी पर नजर पड़ गई। उन्होंने पहले नदी के किनारों पर सब्जियों क उत्पादन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे मध्य मार्ग तक पहुंच बनाकर अतिक्रमण कर लिया। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी सिंचाई विभाग या तहसील प्रशासन को नहीं है, लेकिन अफसर एक-दूसरे के पाले में गेंद डालकर कार्रवाई और जवाबदेही से बच रहे हैं। शिवालिक पहाड़ियों से निकलकर पीलीबांध जलाशय होकर मानियावाला, भटपुरा, मच्छमार, आलमपुर गांवड़ी, सुआवाला, रफायतपुर, मकसूदाबाद होते हुए रामगंगा में विलय होने वाली इस नदी के अतिक्रमण पर अफसरों के तर्क बेहद हास्यपद हैं। सिंचाई विभाग का कहना है कि नदी के अंदर यदि फसल पैदा की जा रही है तो उस पर नियंत्रण और कब्जामुक्त कराने का जिम्मा राजस्व विभाग है। उधर, राजस्व विभाग की तान बेहद पुरानी है। उनका कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है और जांच कराई जाएगी।