नंबर प्लेट के नाम पर एक करोड़ की उगाही?
बिजनौर : ग्रामीण क्षेत्रों के मकानों में स्टीकर की बनी नंबर प्लेट लगाने के नाम पर जिलेभर से करीब एक
बिजनौर : ग्रामीण क्षेत्रों के मकानों में स्टीकर की बनी नंबर प्लेट लगाने के नाम पर जिलेभर से करीब एक करोड़ रुपये की उगाही की गई। नंबर प्लेट पर स्वच्छता स्लोगन लिखकर लोगों को जागरूक करने के नाम पर यह पूरा खेल किया गया। इस काम में ग्राम पंचायत के पूरे अमले को लगा दिया गया। मामले में शिकायतें मिलने के बाद अब अधिकारी करीब एक वर्ष पूर्व आदेश को निरस्त करने की बात कह रहे हैं।
28 दिसंबर 2013 को जिला विकास अधिकारी की ओर से खंड विकास अधिकारियों को जारी किए आदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के मकानों पर नंबर प्लेट लगाने की बात कही गई थी। इन नंबर प्लेट पर स्वच्छता संबंधी स्लोगन लिखे होने और प्रत्येक नंबर प्लेट के लिए मकान मालिक से 20 रुपये लेने की बात कही गई थी। लिए गए रुपयों की रसीद भी देने की बात कही गई थी। इस आदेश के हवाले से खंड विकास अधिकारियों ने सभी ग्राम प्रधानों और पंचायत सचिवों को नंबर प्लेट लगाने में सहयोग करने के आदेश जारी कर दिए। इस काम में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, राशन डीलरों, आशा, रोजगार सेवकों एवं सफाईकर्मियों से भी सहयोग लेने की बात कही गई। बताया जाता है कि नंबर प्लेट लगाने का काम बिहार के जनपद कैमूर (भभुआ) के एक व्यक्ति को सौंपा गया। इस आदेश के बाद जिलेभर में यह काम युद्धस्तर पर शुरू हो गया। जिले में करीब छह लाख परिवार हैं। एक साल में इनमें से कितनों के घरों पर नंबर प्लेट लगी, इसका तो कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है, लेकिन अनुमान है कि करीब पांच लाख घरों पर यह प्लेट लगाई जा चुकी है। 20 रुपये प्रति प्लेट के हिसाब से जिले से करीब एक करोड़ रुपये की उगाही की गई।
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'स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए नंबर प्लेट लगनी थी। यह स्वैच्छिक आधार पर है। यदि कोई नहीं लगवाना चाहता तो वह न लगवाए।'
- एके निगम, जिला विकास अधिकारी
'मुझसे पूर्व में तैनात मुख्य विकास अधिकारी के समय में यह आदेश जारी हुआ था। अब इस पर रोक लगाई जा रही है।'
- अखंड प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी।