खून की प्यासी हैं आधा दर्जन मानवरहित क्रा¨सग
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जनपद में मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर यह पहली दुर्घटना नहीं है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जनपद में मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर यह पहली दुर्घटना नहीं है। इसके पहले 25 जुलाई को कैयरमऊ मानवरहित क्रा¨सग पर घोसिया स्थित टेंडर हर्टस स्कूल के आठ मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। हालांकि बच्चों की मौत के बाद जागे रेल प्रशासन ने यहां पर आनन-फानन में फाटक लगाने की मंजूरी दे दी। इस घटना में दो घरों के चिराग बुझ गए थे। हादसों के बाद भी न रेल प्रशासन की तंद्रा टूट रही है और न वाहन चालकों की।
जनपद रेल हादसों पर गौर किया जाए तो 25 जुलाई 2016 को कैयरमऊ में हुई घटना को याद कर हर किसी की रूह कांप उठती है। मासूम आठ बच्चों की मौत की घटना ने हर किसी को हिलाकर रख दिया था। इन गांवों में परिजनों की करुण चित्कार अभी थमी भी नहीं कि गोरीडीह मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर पांच लोगों की मौत ने कैयरमऊ की घटना को ताजा कर दिया। इसके पूर्व मई 2015 में गोपीगंज थाना क्षेत्र के घनश्यामपुर रेलवे क्रांसिग पर चार पहिया वाहन से मुंबई जा रहे चार लोगों की स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से टकराकर जान जा चुकी है।
उस समय भी मानव-रहित रेलवे क्रा¨सग की भयावहता और उसे खत्म करके विधिवत पुख्ता व्यवस्था करने की मांग और आश्वासन खूब गूंजे लेकिन हादसे के कुछ ही दिन बाद सारे जवाबदेह लोग बात को भूल गए। फिलवक्त हालात कुछ यों है कि जनपद में पांच ऐसे मानव रहित खून के प्यासे रेलवे फाटक विद्यमान हैं जो हमेशा मुंह बाये रहते हैं जबकि इलाहाबाद से वाराणसी के बीच इनकी कुल संख्या बारह है।
कैयरमऊ में हुई दर्दनाक घटना के बाद भी इलाहाबाद-वाराणसी के बीच स्थित बारह क्रा¨सग पर फाटकों को उच्चीकृत करने का कोई प्रयास शुरू नहीं हुआ। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बगैर हादसा घटित हुए रेल प्रशासन की नींद नहीं खुलती। जिले में निर्माणाधीन क्रा¨सग का निर्माण भी वर्षों बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। कैयरपुर मेघीपुर में आठ मासूमों की जान लेने के बाद रेल प्रशासन की नींद तो तात्कालिक प्रभाव खुल गई थी लेकिन धीरे-धीरे वह भी समय के साथ शिथिल होते गए।
वर्तमान समय में भी वाराणसी से लेकर इलाहाबाद के बीच के रेल मार्ग पर कुल बारह मानवरहित क्रा¨सग हैं। अकेले जिले में कुल पांच मानव-रहित क्रा¨सग हैं। इसके पूर्व मई 2015 में घनश्यामपुर हुए रेल हादसा के बाद निर्माणाधीन फाटक का निर्माण कर दिया। इसके बाद भी अभी ऊंज-मुंगरहां, बसहीं, कौलापुर, माधो¨सह सहित पांच मानवरहित रेलवे क्रा¨सग हैं। अभी तक रेल प्रशासन की ओर से इन मानव रहित रेलवे क्रा¨सग में फाटक बनाने की योजना नहीं है।
कैयरमऊ घटना के बाद मानवरहित क्रा¨सगों पर रेल मित्रों की तैनाती कर दी गई थी, लेकिन धीरे-धीरे वह भी खिसक लिए। खोजने के बाद भी नहीं दिख रहे हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इलाहाबाद से वाराणसी के बीच कुल बारह मानवरहित क्रा¨सग है। सभी मानवरहित क्रा¨सग पर सब वे और फाटक निर्माण प्रस्तावित है।