गड्ढायुक्त सड़कों में उजड़ते रहे परिवार
भदोही : सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारणों की बात की जाय, तो गड्ढायुक्त सड़कें सर्वाधिक लोगों को
भदोही : सड़क दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार कारणों की बात की जाय, तो गड्ढायुक्त सड़कें सर्वाधिक लोगों को लहुलुहान और काल कवलित कर रही हैं। जिससे प्रतिवर्ष कई घरों के चिराग बुझने और कमासुत पूत के चले जाने से कई परिवार उजड़ जाते हैं। साथ ही यातायात नियमों का उल्लंघन तथा मार्गों पर संकेतक का अभाव भी इसका एक कारण है। प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
मुख्य मार्गों से लेकर ग्रामीण अंचलों स्थित सम्पर्क मार्गों पर दुर्घटनाओं का तांता लगा हुआ है। भदोही-दुर्गागंज मार्ग हो या फिर भदोही-वाराणसी मार्ग माह में दो चार लोगों के काल के गाल में समाने की घटना हो ही जाती है। इसके लिए वाहन चालक जहां जिम्मेदार हैं, वहीं सड़कों की दयनीय दशा तथा संकेतक का अभाव भी मुख्य कारण माना जा रहा है।
बताते चलें कि एक तरफ गड्ढायुक्त सड़कें तो दूसरी ओर यातायात नियमों की अनदेखी। इसी तरह वाहन चालकों की सुविधा हेतु जगह-जगह अंकित संकेतकों का अभाव भी ¨चता का विषय है। गत मई माह में मुख्यमंत्री के आगमन के मद्देनजर भदोही से बाबतपुर तक फोरलेन का निर्माण कार्य आनन-फानन में पूरा तो कर लिया गया, लेकिन संकेतक बोर्ड नहीं लगाए गए। नई नवेली सड़क पर फर्राटा भर रहे वाहन सवार कहां किसी से भिड़ जाएं कहा नहीं जा सकता। अंधा मोड़ है, आगे ब्रेकर है जैसे संकेतकों का अभाव घटनाओं का कारण साबित हो रहा है। इसी तरह फोरलेन मार्ग पर डिवाइडर का अभाव भी परेशानी का सबब साबित हो रहा है।
पटरी गायब
उधर भदोही-दुर्गागंज मार्ग की बात करें तो दो वर्ष पहले सड़क का निर्माण तो करा दिया गया, लेकिन पटरी का अता पता नहीं है। इसी तरह उक्त मार्ग पर भी संकेतकों का घोर अभाव है। यही कारण है कि घटनाओं का तांता लगा है। इन सबके बीच अर्ध प्रशिक्षित चालकों के हाथ में स्टेयिरंग, युवक बाइक सवारों का हवा से बातें करना भी ¨चता का विषय है। बताते चलें कि गांवों में ट्रैक्टर चलाकर खेत जोतने वाले भी फेरारी चलाते देखे जा रहे हैं। विडंबना तो यह है कि ऐसे वाहन चालकों के प्रति संबंधित विभाग भी उदासीनता का परिचय दे रहा है।
पूरी की गई औपचारिकता
कहने को नवंबर के अंतिम सप्ताह को यातायात सप्ताह के नाम पर मनाया गया। इस दौरान चौरी व सुरियावां जैसे छोटे बाजारों में स्कूली बच्चों के माध्यम से रैलियां निकाली गई, लेकिन इसका लोगों पर कितना प्रभाव पड़ा यह बताने की जरूरत नहीं है। दरअसल भदोही जैसे शहरों जहां यातायात की गंभीर समस्या है, यहां जागरूरता रैली की जरूरत नहीं समझी गई। चालकों को उनकी जिम्मेदारियों से अवगत नहीं कराया गया।