मंदी व महंगाई से उखड़े काती व्यवसायियों के पांव, पलायन
भदोही : कालीन उद्योग की मंदी के चलते काती का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। परिक्षेत्र से होने वा
भदोही : कालीन उद्योग की मंदी के चलते काती का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ है। परिक्षेत्र से होने वाले कालीन उत्पादन में भारी गिरावट के साथ ऊल सामाग्री की डिमांड में कमी काती व्यवसायियों के लिए गंभीर ¨चता का कारण साबित हो रहा है।
यही कारण है कि प्रमुख काती व्यवसायियों ने बोरिया-बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है।
कालीन नगरी में राजस्थान, हरियाणा सहित अन्य प्रांतो के काती व्यवसाई बड़ी तादाद में रहकर व्यवसाय करते हैं। कालीन उद्योग में आई मंदी व कच्चे सामानों की कीमतों में भारी वृद्धि के बाद व्यवसायियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। एक दशक पहले की अपेक्षा ऊल की कीमत में आई भारी उछाल ¨चता का सबब साबित हो रही है।
बताते चलें कि ढांचागत सुविधाओं के अभाव में उद्योग तेजी के साथ दिल्ली, आगरा, पानीपत, जयपुर की ओर स्थानांतरित हो रहा है। परिणामस्वरूप परिक्षेत्र की उत्पादन क्षमता में भारी गिरावट आई है। बताते चलें कि पहले पूरे देश के कालीन उत्पादन का 80 फीसद भदोही-मीरजापुर परिक्षेत्र में होता था जो घटकर 35 से 40 फीसद रह गया है।
उत्पादन कम होने से ऊल, सूत, ठर्री आदि की मांग में भी कमी आई है। इसके चलते काती व्यवसायियों के गोदाम में करोड़ों के माल डंप हो गए हैं। यही कारण है कि व्यवसायी दूसरे शहरों की ओर पलायन करने को विवश हैं। हालांकि बाजार में काती की दुकानें तो पहले जैसी ही हैं लेकिन ग्राहक नदारद हैं।
प्रमुख काती व्यवसायी मनोज सुराना का कहना है कि वूल सहित कच्चे सामानों की कीमतें तो बढ़ीं हैं लेकिन गुणवत्ता पर भी विपरीत असर पड़ा है। अब बाजार की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। कई व्यवसायियों ने दूसरा धंधा शुरू कर दिया है तथा कुछ लोग दूसरे शहरों में शिफ्ट हो रहे हैं।