प्रधान जी चुनाव में, नौनिहालों के भोजन पर संकट
ज्ञानपुर (भदोही) : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल तेज है। प्रधान जी चुनाव लड़ने या फिर लड़ाने में मस्
ज्ञानपुर (भदोही) : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल तेज है। प्रधान जी चुनाव लड़ने या फिर लड़ाने में मस्त हैं। इसका असर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में नौनिहालों के लिए संचालित मध्याह्न भोजन योजना पर भी पड़ने लगा है।
भोजन बनवाने में बरती जा रही उदासीनता से बच्चों के भोजन पर संकट खड़ा हो गया है। बच्चे शासन की इस योजना के लाभ से वंचित होते देखे जा रहे हैं।
बताते चलें कि ग्राम पंचायतों में ग्रामप्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य पद का चुनाव शुरू है। लगभग प्रत्येक गांव में चुनाव को लेकर हलचल बढ़ी हुई है। ऐसे में तमाम जगहों पर मौजूदा ग्रामप्रधान भी दोबारा भाग्य आजमा रहे हैं तो तमाम गांवों में आरक्षण व्यवस्था के चलते बदल चुकी स्थिति से प्रधानों को चुनाव से पूर्व ही कुर्सी जाते दिख रही है। इस स्थिति में एक ओर जहां चुनाव में व्यस्त प्रधान जी भोजन के प्रति उदासीन हो चुके हैं तो तमाम ऐसे हैं जिन्हें दोबारा प्रधान पद की कुर्सी मिलती नहीं दिख रही है वह भी भोजन बनवाने की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसी स्थित कई विद्यालयों में देखी जा रही है तो जिलाधिकारी से लेकर बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय तक भोजन न बनने की शिकायत भी पहुंचने लगी है। हालांकि जो भी हो लेकिन नौनिहालों के भोजन पर संकट गहरा चुका है। इसी तरह मिली शिकायत पर प्राथमिक विद्यालय सरैयां व गंगापुर के प्रधानाध्यापकों के वेतन पर रोक भी लगाई जा चुकी है।
वैसे इस सबंध में मध्याह्न भोजन योजना के जिला समन्वयक आरके ¨सह ने बताया कि जहां ग्राम प्रधान भोजन नहीं बनवा रहे हैं वहां प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया गया है कि बैठक कर प्रबंध समिति के जरिए एमडीएम का संचालन करने का प्रस्ताव करें ताकि प्रबंध समिति के माध्यम से भोजन बनवाया जा सके। कहा कि भोजन हर हाल में बनना चाहिए। जहां भोजन नहीं बनते पाया जाएगा प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
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बुध के दूध पर भी ग्रहण
- मध्याह्न भोजन योजना के तहत प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में प्रत्येक बुधवार को बच्चों को दूध दिए जाने की मंशा पर भी ग्रहण लग चुका है। अधिकांश विद्यालयों में दूध का वितरण बंद हो चुका है। मध्याह्न भोजन योजना के मीनू में प्रत्येक बुधवार को प्रति बच्चा दो सौ मिलीलीटर दूध शामिल किया गया था। शुरूआती दौर में तो अफसरों ने खूब निगरानी की। इस बीच शुरू हुए पंचायत चुनाव के चलते अफसरों की व्यस्तता बढ़ी तो अधिकांश विद्यालयों में दूध भी बंद हो चुका है।