बगीचे में कहीं एक तो कहीं दो पौधे, फर्जीवाड़ा उजागर
ज्ञानपुर (भदोही) : औद्यानिक मिशन में संचालित बागवानी योजना में व्यापक स्तर पर धांधली का खुलासा हुआ ह
ज्ञानपुर (भदोही) : औद्यानिक मिशन में संचालित बागवानी योजना में व्यापक स्तर पर धांधली का खुलासा हुआ है। मुख्य विकास अधिकारी आरपी मिश्र के निरीक्षण में लाभार्थियों के बगीचे में कहीं एक तो कहीं दो पौधे मिले। इस मामले में तत्कालीन जिला उद्यान अधिकारी सहित अन्य संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
शासन की ओर से औद्यानिक मिशन में प्रत्येक वर्ष आम, आंवला और अमरूद की बागवानी तैयार करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाता है। जनपद में इसका लक्ष्य करीब 25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में होता है। लाभार्थी किसानों का चयन कर उन्हें पौधे और समय-समय पर उसके रख-रखाव के लिए बजट भी दिया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष में भी करीब 15 हेक्टेयर में बागवानी तैयार करने का लक्ष्य मिला है।
मुख्य विकास अधिकारी को शिकायत मिली की बागवानी योजना में लाभार्थियों द्वारा विभागीय तालमेल से बगीचा नहीं तैयार किया जा रहा है। शासन से मिले बजट में बंदरबांट किया जा रहा है। मामले की गंभीरता को लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी खुद अभोली विकास खंड के कई लाभार्थियों के बगीचे की जांच की। उन्होंने बताया कि कुल 25 लाभार्थियों को बागवानी योजना में अमरूद, आम और आंवला आदि रोपित करने के लिए दिया गया था।
बताया कि बगीचे की जांच की गई तो कहीं पर एक पेड़ तो कहीं पर दो पेड़ मिले। योजना में विभागीय अधिकारियों के तालमेल से व्यापक स्तर पर गड़बड़ी करने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले में जिला उद्यान अधिकारी सहित अन्य संबंधित कर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई है। बताया कि इसके अलावा अन्य योजनाओं की भी जांच की जा रही है।
किसी भी प्रकार की धांधली मिलने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
ठगा महसूस कर रहे हैं किसान
जिला उद्यान विभाग की ओर से संचालित योजनाओं के लाभार्थी किसान अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। बताते चलें कि विभाग की ओर से दावा किया जाता है कि पौधे इलाहाबाद अथवा वाराणसी से मंगाया गया है। इसकी प्रजाति अच्छे किस्म की है लेकिन जैसे ही फल आने के बाद विभाग की पोल खुल जाती है। इसी प्रकार लहसुन, प्याज आदि के बीजों में भी गड़बड़ी की जाती है। खेती करने के बाद किसान हाथ मल कर ही रह जाते हैं। विभाग की ओर से प्रत्येक वर्ष खरीद-फरोख्त में विभागीय खेल किया जाता है। जांच हुई तो किसी बड़े खुलासे से इनकार नहीं किया जा सकता है।