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दीपक में घी जैसी होती है नैतिक शिक्षा

ज्ञानपुर (भदोही): भारत विश्व गुरू है तथा इसके उत्थान के लिए धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा उतनी ही आवश्यक

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 10:31 PM (IST)
दीपक में घी जैसी होती है नैतिक शिक्षा

ज्ञानपुर (भदोही): भारत विश्व गुरू है तथा इसके उत्थान के लिए धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा उतनी ही आवश्यक है जितना दीपक में घी। यह शिक्षा यदि कहीं सुलभ है तो वह है श्रीमद्भागवत। उक्त बातें पूरेभान में श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महराज ने गुरुवार को कही। कथा का शुभारंभ स्वामीजी के द्वारा दीप प्रज्ज्जवलन के पश्चात हुआ। इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सर के कारण कुछ लोगों में पाखंड झलक रहा है। इसका एकमात्र कारण अज्ञानता है। इसी अज्ञानता के चलते आज हम अपने बच्चों को धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं। कहा कि जिस प्रकार गंगा स्नान करने से तन का मैल धुल जाता है ठीक उसी प्रकार श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से मन का मैल धुल जाता है। भागवत कथा मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। बताया कि लोभ व अहंकार से वशीभूत होकर यदि लोग कथा करते व कराते हैं तो कथा का सार नष्ट हो जाता है। अत: कथा को सुनने व कराने के लिए श्रद्धा एवं भक्ति आवश्यक है। इस अवसर पर राजेश कुमार दुबे, पूर्व विधायक वृद्धिनारायण सिंह, डा.नीलम मिश्र, ब्रह्मदेव तिवारी, रामश्रृंगार पाठक, दयाशंकर पाठक, राधेश्याम शुक्ल, गंगाप्रसाद तिवारी, सभापति शुक्ल, मुसाफिर पांडेय, राहुल दुबे आदि थे।


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